पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल एक बार फिर चरम पर पहुंच गई है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मौत की अफवाहों और उनके सेहत से जुड़ी अनिश्चितताओं के बीच इस्लामाबाद और रावलपिंडी के हालात तनावपूर्ण हो चुके हैं। स्थिति को देखते हुए सरकार ने धारा 144 लागू कर दी, जिसके बाद दोनों शहरों में कर्फ्यू जैसे हालात बन गए हैं।भीड़, रैली, जुलूस, धरना सब पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है।रावलपिंडी में यह आदेश 1 से 3 दिसंबर तक प्रभावी रहेगा, जबकि इस्लामाबाद में इसे पूरे दो महीने, यानी 18 जनवरी 2026 तक लागू किया गया है। आदेश में साफ कहा गया है कि किसी भी प्रकार की सभा, जुलूस, रैली, धरना पर पूरी तरह रोक लगा दी है।पाँच या उससे अधिक लोगों का एकत्र होना बैन लगा दिया गया है।हथियार, लाठी, गुलेल, ज्वलनशील सामग्री, पेट्रोल बम ले जाना सख्त मनाही हैय़लाउडस्पीकर के प्रयोग पर रोक लगाई गई है।पुलिस बैरिकेड हटाने की कोशिश करना दंडनीय अपराध माना जाएगा।दो लोगों के एक मोटरसाइकिल पर बैठने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
रावलपिंडी के डिप्टी कमिश्नर डॉ. हसन वकार चीमा के अनुसार यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट बताती है कि कुछ संगठन संवेदनशील ठिकानों पर हमले और कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की योजना बना रहे थे।परिवार और PTI ने कहा कि’उनकी हालत छिपाई जा रही है’।इमरान खान अगस्त 2023 से रावलपिंडी की अडियाला जेल में बंद हैं। पिछले कई हफ्तों से खान की किसी को भी मुलाकात की अनुमति नहीं दी गई न परिवार को, न वकीलों को, न पार्टी नेताओं को।इमरान खान के बेटे कासिम खान, जो विदेश में रहते हैं, ने रॉयटर्स से बात करते हुए कहा कि“महीनों से पिता से कोई संपर्क नहीं हो पाया है। हमें उनकी कोई सत्यापित जानकारी नहीं दी जा रही है। यह मानसिक यातना जैसा है।”उन्होंने कहा कि खान को पिछले 6 हफ्तों से अकेले ‘डेथ सेल’ में रखा गया है।अदालत के आदेशों के बावजूद मुलाकात की अनुमति नहीं दी जा रही।इन बयानों ने पाकिस्तान में खौफ और अफवाहों को और गहरा कर दिया है।
PTI का दावा सरकार इमरान की असली स्थिति छिपा रही है।PTI नेताओं का कहना है कि सरकार और जेल प्रशासन हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहे। पार्टी ने मंगलवार को इस्लामाबाद हाई कोर्ट और फिर अडियाला जेल के बाहर बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन की घोषणा की थी, लेकिन उससे पहले ही धारा 144 लगा दी गई।पिछले सप्ताह KP के मुख्यमंत्री को भी आठवीं बार इमरान खान से मिलने की अनुमति नहीं दी गई, जिसके विरोध में उन्होंने जेल के बाहर धरना दिया।

सरकार ने खुफिया रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा किसंवेदनशील सैन्य ठिकानों पर हमले की आशंका है।जिला खुफिया समिति की रिपोर्ट के अनुसार कुछ समूह बड़ी भीड़ जुटाकर विरोध को सैन्य ठिकानों और सरकारी भवनों तक ले जाने की योजना बना रहे हैं।सरकार का दावा है कि धारा 144 लगाना जनता की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम है।
इमरान खान की मौत की अफवाहों ने देशभर में तनाव बढ़ा दिया है। सोशल मीडिया पर सवालों की बाढ़ है कि क्या इमरान खान सुरक्षित हैं? क्या उन्हें गंभीर नुकसान पहुंचाया गया है?सरकार ने 2 दिसंबर को उनकी बहनों और कुछ पार्टी नेताओं को मुलाकात की अनुमति तो दे दी, लेकिन उससे पहले जिस तरह पूरे इलाके में धारा 144 लगाई गई, उससे जनता का अविश्वास और बढ़ गया है।आने वाले कुछ दिन पाकिस्तान की राजनीति का भविष्य तय कर सकते हैं।