अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव एक बार फिर से उफान पर है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को घोषणा की कि 1 नवंबर 2025 से अमेरिका चीन से आयातित सभी उत्पादों पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ (Import Duty) लगाएगा। यह कदम पहले से लागू टैरिफ दरों से अलग और अतिरिक्त होगा।
ट्रंप ने यह ऐलान अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ (Truth Social) पर किया, जिसमें उन्होंने चीन की “आक्रामक नीतियों” और “वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर नियंत्रण” को लेकर कड़ी चेतावनी दी। ट्रंप ने कहा कि यह फैसला अमेरिका के आर्थिक और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए जरूरी है।
चीन पर डबल टैरिफ वार
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि चीन से आने वाले सभी उत्पादों पर अब तक जो शुल्क लागू हैं, उनके ऊपर 100% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा।
“यह टैरिफ किसी भी मौजूदा शुल्क के अतिरिक्त होगा। चीन का व्यवहार अत्यंत आक्रामक और शत्रुतापूर्ण हो गया है, और अब अमेरिका उसी भाषा में जवाब देगा,” — ट्रंप ने अपने पोस्ट में लिखा।वर्तमान में अमेरिका चीन के अधिकांश उत्पादों पर औसतन 30-40% टैरिफ वसूल रहा है। इसमें स्टील और एल्युमीनियम पर 50%, जबकि उपभोक्ता वस्तुओं पर 7.5% तक शुल्क शामिल है। अब इन सबके ऊपर नया 100% टैरिफ लगाया जाएगा।
महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर पर निर्यात नियंत्रण भी लागू करेगा अमेरिका
ट्रंप ने यह भी घोषणा की कि 1 नवंबर से अमेरिका सभी “महत्वपूर्ण (critical)” सॉफ्टवेयर के निर्यात पर नियंत्रण लागू करेगा।उन्होंने कहा कि बीजिंग के “असाधारण रूप से आक्रामक कदमों” के जवाब में यह कार्रवाई की जा रही है। इन सॉफ्टवेयर पर निर्यात नियंत्रण से चीन की तकनीकी उद्योग को बड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि अमेरिका से मिलने वाले सॉफ्टवेयर और सेमीकंडक्टर टूल्स उस पर भारी निर्भरता रखते हैं।
रेयर अर्थ खनिजों पर चीन के प्रतिबंध से बढ़ा तनाव
अमेरिकी राष्ट्रपति के इस फैसले की पृष्ठभूमि चीन द्वारा दुर्लभ मृदा खनिजों (Rare Earth Minerals) और उनसे जुड़ी तकनीकों के निर्यात पर लगाए गए नए प्रतिबंध हैं।चीन ने हाल ही में एक नया नियम जारी किया है जिसके तहत अब विदेशी कंपनियों को ऐसे किसी भी उत्पाद के निर्यात से पहले विशेष अनुमति लेनी होगी, जिसमें चीनी रेयर अर्थ तत्वों की थोड़ी भी मात्रा हो।
चीन का दावा है कि ये प्रतिबंध उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) के लिए आवश्यक हैं, लेकिन अमेरिका का मानना है कि बीजिंग इन सामग्रियों का इस्तेमाल वैश्विक उद्योग को “बंधक” बनाने के लिए कर रहा है।
ट्रंप बोले — “चीन दुनिया को बंदी बना रहा है”
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में चीन पर तीखा हमला करते हुए लिखा:“चीन बहुत आक्रामक होता जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर चिप्स, लेज़र और अन्य तकनीकों में इस्तेमाल होने वाली धातुओं और दुर्लभ चुंबकों तक पहुंच को सीमित कर, वह दुनिया को बंदी बना रहा है। यह किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।”
उन्होंने चीन के कदम को “बेहद शत्रुतापूर्ण” करार देते हुए कहा कि “अमेरिका अब अपने हितों की रक्षा के लिए कठोर कदम उठाने को मजबूर है।”
APEC शिखर सम्मेलन में शी जिनपिंग से मुलाकात रद्द करने के संकेत
ट्रंप ने अपनी पोस्ट में यह भी संकेत दिए कि वह दक्षिण कोरिया में होने वाले APEC (Asia-Pacific Economic Cooperation) शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अब मुलाकात नहीं करेंगे।“मुझे दो हफ्ते बाद दक्षिण कोरिया में APEC में शी जिनपिंग से मिलना था, लेकिन अब ऐसा करने का कोई कारण नहीं दिखता,” ट्रंप ने लिखा।यह बैठक जनवरी 2025 में ट्रंप के सत्ता में लौटने के बाद दोनों देशों के शीर्ष नेताओं की पहली आमने-सामने मुलाकात होने वाली थी।
अमेरिकी उद्योगों पर संभावित असर
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि चीन और अमेरिका के बीच यह नया टैरिफ वॉर कई उद्योगों के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। जैसे कि कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV), रक्षा क्षेत्र, व ऊर्जा और नवीकरणीय तकनीक क्षेत्र के लिए यह झटका साबित हो सकता है। इन सेक्टर्स में पहले से ही ऊंचे टैरिफ और सप्लाई चेन की दिक्कतों से जूझ रहे हैं। अब 100% अतिरिक्त टैरिफ लागू होने के बाद उत्पादन लागत और भी बढ़ जाएगी।
वैश्विक सप्लाई चेन पर असर
चीन वैश्विक रेयर अर्थ खनन का लगभग 70% और प्रसंस्करण का 90% हिस्सा नियंत्रित करता है। ये खनिज स्मार्टफोन, EVs, रक्षा उपकरणों और सेमीकंडक्टर्स के लिए आवश्यक हैं।अमेरिका की नई नीति से न सिर्फ चीन, बल्कि उन देशों पर भी असर पड़ेगा जो चीन से कच्चा माल खरीदकर अमेरिका को तैयार उत्पाद बेचते हैं।
विश्लेषकों की राय
ट्रेड विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप का यह कदम राजनीतिक और आर्थिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है।“यह केवल चीन को नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार को झकझोर देने वाला फैसला है। अमेरिका की आक्रामक व्यापार नीति से आने वाले महीनों में वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ेगी,” — अर्थशास्त्री जॉर्ज मेसन (George Mason) ने कहा।अमेरिका और चीन के बीच यह नया टैरिफ विवाद आने वाले महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चुनौतियां खड़ी कर सकता है। ट्रंप के 100% टैरिफ और सॉफ्टवेयर निर्यात नियंत्रण से जहां अमेरिकी उद्योगों को अल्पकालिक झटका लग सकता है, वहीं यह बीजिंग पर रणनीतिक दबाव भी बढ़ाएगा।