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पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी का चीन दौरा: J-10C फाइटर जेट फैक्ट्री का निरीक्षण

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी चीन के दौरे पर हैं और इस दौरान वे J-10C फाइटर जेट फैक्ट्री पहुंचे। यहां उन्होंने चीन के उन्नत लड़ाकू विमानों का नजदीकी जायजा लिया और उनकी तकनीकी क्षमता और युद्धक ताकत की खुलकर तारीफ की। यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब पाकिस्तान और चीन के रक्षा संबंध लगातार गहरे हो रहे हैं।

J-10C फाइटर जेट: क्यों खास है?

  • J-10C चीन का चौथी पीढ़ी का बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है।
  •  यह बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAMs) से लैस है।
  •  इसमें AESA (Active Electronically Scanned Array) रडार तकनीक है, जिससे यह दुश्मन की गतिविधियों को दूर से पकड़ सकता है।
  •  पाकिस्तान एयर फोर्स (PAF) के पास पहले से दर्जनों J-10C जेट मौजूद हैं, जिन्हें चीन ने तेज़ी से डिलीवर किया था।

भारत-पाक तनाव में इनका इस्तेमाल

भारत-पाक के बीच बढ़ते तनाव के दौरान पाकिस्तान ने J-10C को भारतीय वायुसेना के खिलाफ ताकत के प्रदर्शन के रूप में पेश किया।

  •  विशेषज्ञों का मानना है कि यह जेट भारत के राफेल विमानों का मुकाबला करने के लिए खरीदे गए हैं।
  • 2022 और 2023 में पाकिस्तान ने इन्हें कई एयर शो और मिलिट्री एक्सरसाइज में प्रदर्शित किया।
  •  रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीमा पर हुई कुछ झड़पों में इन जेट्स का इस्तेमाल भारत को दबाव में लाने के लिए किया गया था।

जरदारी की चीन यात्रा और संदेश

जरदारी ने फैक्ट्री दौरे के दौरान कहा कि पाकिस्तान और चीन की दोस्ती “अटूट और भरोसेमंद” है।

  •  उन्होंने J-10C जेट्स को आधुनिक युद्ध के लिए गेम-चेंजर बताया।
  •  उनका यह बयान साफ संकेत देता है कि पाकिस्तान, अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए चीन पर और अधिक निर्भर हो रहा है।

भारत के लिए चिंता

भारत के रणनीतिक विशेषज्ञ इस घटनाक्रम को सुरक्षा चुनौती के रूप में देख रहे हैं।

  •  चीन पहले से ही भारत के खिलाफ सीमा पर आक्रामक है, ऐसे में पाकिस्तान को हाई-टेक हथियार मुहैया कराना भारत की सुरक्षा नीति के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
  •  भारतीय रक्षा विश्लेषक मानते हैं कि भारत को अपने राफेल, तेजस और सुखोई बेड़े को और अपग्रेड करना होगा ताकि चीन-पाक गठबंधन की हवाई ताकत का सामना किया जा सके।

जरदारी का J-10C फैक्ट्री दौरा सिर्फ एक औपचारिक यात्रा नहीं, बल्कि पाकिस्तान-चीन की रणनीतिक साझेदारी का मजबूत संदेश है। आने वाले समय में यह साझेदारी दक्षिण एशिया की सुरक्षा संतुलन को और चुनौतीपूर्ण बना सकती है।

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