फ्रांस में सड़कों पर उतरे लोग अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शन एफिल टावर बंद

फ्रांस में लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। बीते गुरुवार को शुरू हुए विरोध- प्रदर्शन इतने ज्यादा बढ़ गए कि पेरिस के एफिल टॉवर को ही बंद करना पड़ा। लेकिन सवाल है आखिर ऐसा क्यों?

फ्रांस की सरकार के द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए खर्च कटौती नीतियों के खिलाफ सड़कों पर लोग उतर आए। प्रदर्शनकारियों में मजदूर, रिटायर लोग और छात्र शामिल हैं। राजधानी पेरिस में प्लास दइटाली से मार्च किया और सरकारी खर्चों में कटौती का विरोध करते हुए अमीरों पर अधिक टैक्स लगाने की मांग की। इस बीच एफिल टॉवर प्रबंधन ने एक बयान जारी कर पर्यटकों को सूचित किया कि हड़ताल के चलते टॉवर बंद है। ये हड़तालें फ्रांस में पिछले महीने शुरू हुए विरोध-प्रदर्शनों के तहत ही हो रही है।

फ्रांस के आंतरिक मंत्रालय ने बताया कि देशभर में 1 लाख 95 हजार लोग सड़कों पर उतरे, जिनमें से 24 हजार सिर्फ पेरिस में थे। इन प्रदर्शनों का असर क्षेत्रीय रेल सेवाओं और स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा है। जबकि पेरिस में मेट्रो सेवाएं लगभग सामान्य रहीं, लेकिन ट्रेनें सीमित क्षमता में चल रही थीं। कई शिक्षकों और स्वास्थ्यकर्मियों ने भी हड़ताल में हिस्सा लिया। हजारों प्रदर्शनकारियों ने सरकार की अगले साल के बजट में किए जाने वाले बड़े पैमाने की कटौतियों के खिलाफ फ्रांस भर में मार्च किया।

ट्रेड यूनियनें राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और उनके नए प्रधानमंत्री सेबास्टियन लेकोर्नू पर दबाव बनाए रखने की कोशिश कर रही हैं। लेकोर्नू, जिन्हें पिछले महीने नियुक्त किया गया था, अभी तक अपने बजट की विस्तृत योजना पेश नहीं कर पाए हैं और न ही अपने मंत्रियों की नियुक्ति की है।

यूनियन नेताओं की मांग है कि सार्वजनिक सेवाओं पर अधिक खर्च किया जाए, सरकार का रिटायरमेंट एज बढ़ाने का फैसला वापस लिया जाए और अमीरों पर ज्यादा कर लगाया जाए। पिछले महीने, देशभर के छोटे-बड़े शहरों में पांच लाख से अधिक लोगों ने मार्च किया था। यूनियनों का कहना है कि 10 लाख से अधिक हड़ताली कर्मचारी और प्रदर्शनकारी उस विरोध में शामिल हुए थे। फ्रांस में दरअसल, सरकार ने अगले साल के बजट में सार्वजनिक सेवाओं पर खर्च कम करने की योजना बनाई है। यूनियनों और लोगों की मांग है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सार्वजनिक सेवाओं पर कटौती न हो। वो चाहते हैं कि अमीरों पर ज्यादा टैक्स लगाया जाए ताकि आम जनता पर बोझ न पड़े। प्रदर्शनकारी यह भी चाहते हैं कि सरकार रिटायरमेंट की एज बढ़ाने का फैसला वापस ले। यानी लोग यह संदेश दे रहे हैं कि वो सरकारी कटौतियों के बजाय सामाजिक सेवाओं पर अधिक निवेश चाहते हैं। नैनटेस में विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए डोमिनिक मेनियर ने कहा, ”हमें लड़ाई जारी रखनी होगी, भले ही हममें से ज्यादा लोग न हों। हर बार हमें एक दिन का नुकसान होता है। लेकिन लोकतंत्र आमतौर पर इसी तरह आगे बढ़ता है।” सीजीटी यूनियन ने कहा कि फ्रांस में 240 से अधिक जगहों पर प्रदर्शन होने वाले थे,  व्यवस्था बनाए रखने के लिए 76,000 पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया था।

नई सरकार पर दबाव

फ्रांस के नए प्रधानमंत्री सेबास्टियन लेकोर्नू हाल ही में पद पर आए हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक न तो अपना पूरा मंत्रिमंडल घोषित किया है और न ही बजट का विस्तृत खाका पेश किया है। माना जा रहा है कि सरकार गठन की प्रक्रिया आने वाले दिनों में पूरी होगी और साल के अंत तक संसद में बजट पर बहस होगी। फिलहाल, इन प्रदर्शनों ने लेकोर्नू की नई सरकार पर अतिरिक्त दबाव बना दिया है, क्योंकि जनता और यूनियनें खर्चों में कटौती को लेकर किसी भी तरह का समझौता करने के मूड में नहीं हैं।

 

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