पेरू में सड़कों पर उतरे युवा ,सरकार की पेंशन पॉलिसी का विरोध राजधानी लीमा सबसे ज्यादा प्रभावित

पेरू में इस समय हालात बेकाबू है । नेपाल की ही तरह पेरू में GEN-Z सड़कों पर उतर आए और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। पेरू दक्षिण अमेरिकी देश है, जिसे चीन का करीबी माना जाता है।
पेरू में लाखों लोग सड़कों पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें ज्यादातर युवा प्रदर्शकारी शामिल हैं। सरकार के पेंशन कानून का विरोध जताया जा रहा है, जिसके तहत 18 साल से अधिक उम्र के हर नागरिक को किसी न किसी पेंशन प्रदाता कंपनी के साथ जुड़ना अनिवार्य है। इसके अलावा पेरू के युवा भ्रष्टाचार से भी परेशान हैं।

आशंका ये जताई जा रही है कि पेरू में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के पीछे अमेरिकी डीप स्टेट का हाथ हो सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, पेरू के युवा शनिवार से राष्ट्रपति दीना बोलुआर्टे के खिलाफ फिर से प्रदर्शन कर रहे हैं। इन प्रदर्शनों से राजधानी लीमा सबसे ज्यादा प्रभावित है। इस दौरान पुलिस के साथ हुई झड़पों में एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी, प्रदर्शनकारी और पत्रकार घायल हुए थे। प्रदर्शनकारियों की सबसे बड़ी मांग अनिवार्य पेंशन कानून को स्थगित करना और देश में भ्रष्टाचार पर काबू पाना है। हालांकि, सरकार ने अपने कदम पीछे खींचने से इनकार कर दिया है। ऐसे में प्रदर्शनकारियों का गुस्सा और भी भड़क गया है।पेरू में असंतोष का एक धीमा, सुलगता हुआ स्तर रहा है और यह काफी समय से ऐसा ही है। पेरू में GEN- Z के विरोध प्रदर्शन इंडोनेशिया और नेपाल में युवाओं के प्रदर्शनों के बाद हुए हैं।

यह प्रदर्शन 20 सितंबर को तब शुरू हुए जब सरकार ने पेंशन सिस्टम में बदलाव किया। अब हर 18 साल से ऊपर के पेरूवासी को किसी न किसी पेंशन प्रदाता से जुड़ना जरूरी होगा लेकिन यह गुस्सा सिर्फ पेंशन सुधारों तक सीमित नहीं है। राष्ट्रपति बोलुआर्टे और संसद के खिलाफ लंबे समय से नाराजगी चल रही है। प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में लैटिन अमेरिका की राजनीति पर रिसर्च करने वाली प्रोफेसर जो-मैरी बर्ट का कहना है कि यह असंतोष काफी समय से सुलग रहा है। इसकी वजह है भ्रष्टाचार, आर्थिक असुरक्षा, बढ़ता अपराध और 2022 के बाद सुरक्षा बलों के हाथों मारे गए दर्जनों प्रदर्शनकारियों के लिए जवाबदेही की कमी है। जुलाई में आए इंस्टीट्यूट ऑफ पेरूवियन स्टडीज की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति बोलुआर्टे की लोकप्रियता सिर्फ 2.5% है, जबकि संसद की महज 3 फीसद है। लीमा के अलावा यह विरोध देश की खनन इंडस्ट्री तक को हिला चुका है। कनाडा की कंपनी हुडबे मिनरल्स ने ऐलान किया कि उसने पेरू में चल रही अशांति की वजह से अपनी मिल को अस्थायी तौर पर बंद कर दिया है।

पेरू दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कॉपर प्रोडक्शन वाला देश है और सोना-चांदी का भी बड़ा उत्पादक है। पेरू की जनरेशन-Z इंडोनेशिया और नेपाल की तरह ही विरोध कर रही है। GenZ ने इस प्रदर्शन के लिए फेमस जापानी एनिमे ‘वन पीस’ के केरेक्टर ‘लूफी’ को अपना रोल मॉडल बनाया है। ये केरेक्टर न्याय के लिए लड़ता है। प्रदर्शनकारियों के हाथ में खोपड़ी वाली टोपी का निशान देखा जा रहा है, जो लूफी की पहचान है।

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