मध्य-पूर्व संघर्ष के बीच एक निर्णायक मोड़ आ गया है। मिस्र ने शर्म अल-शेख में 20 से अधिक देशों के नेताओं को बुलाकर एक शिखर सम्मेलन (summit) आयोजित किया है, जिसका मूल उद्देश्य है इजराइली बंधकों की रिहाई और गाजा संघर्ष को स्थायी मोड़ देना। इस सम्मेलन में अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भूमिका केंद्रीय मानी जा रही है।लेकिन इस कूटनीतिक पहल में एक बड़ा विवाद है — हमास ने इस शिखर सम्मेलन में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया है। इस असमंजस के बीच, दुनिया की निगाहें इस सम्मेलन पर टिकी हैं, क्योंकि इसके परिणाम मध्य-पूर्व की राजनीति और सुरक्षा व्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं।मिस्र ने इस शिखर सम्मेलन को एक ऐसा मंच बनाने का प्रयास किया है, जिसमेंइजराइली बंधकों की रिहाई को अंतिम रूप देना हो,गाजा में एक स्थायी युद्धविराम (ceasefire) की दिशा तय करना हो, औरक्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता का नया प्रारूप बनाना हो।इस बैठक में ट्रम्प को विशेष भूमिका दी गई है — उनके मार्गदर्शन और सार्वजनिक उपस्थिति से इस आयोजन को राजनीतिक दबाव और मान्यता मिलेगी।
पत्रकार रिपोर्टों के अनुसार, सम्मेलन के को-चेयर की जिम्मेदारी ट्रम्प और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी को दी गई है
इस शिखर सम्मेलन के एजेंडे में निम्न बिंदु शामिल हैं:
बंधकों की रिलीज़: हमास द्वारा कब्जे में लिए गए इजराइली बंधकों को रिहा करना। प्रस्तावित संख्या और समय-सीमा इस विषय की चर्चा होगीपलिस्तीनी बंदियों की रिहाई: इसके बदले में इजरायल द्वारा कुछ पलिस्तीनी कैदियों को छोड़ने का प्रस्ताव रखा गया हैसीमित सैनिक वापसी पीछे हटाव: गाजा में इजरायली सैनिकों की वर्तमान पोजीशन को नए समझौते के अनुरूप समायोजित करने का प्रस्ताव। मॉनिटरिंग फोर्स और निरीक्षण दल: एक अंतरराष्ट्रीय निगरानी समिति अथवा बल, संभवतः अरब देशों या साथियों की टीम, बनाई जाए ताकि समझौते के पालन को देखा जाएमानवीय राहत और पुनर्निर्माण: संघर्ष से प्रभावित इलाकों में मानवाधिकार सहायता, भोजन, चिकित्सा और बुनियादी सेवाएं पहुँचाने की व्यवस्था। despite being central to the conflict, हमास ने स्पष्ट रूप से यह कह दिया है कि वह इस सम्मेलन का हिस्सा नहीं बनेगा। उनका मुख्य तर्क है कि वे प्रस्तावों और शर्तों को “अकारण” और “अस्वीकार्य” मानते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की बैठकों में शामिल होना उनकी राजनीतिक और सैन्य रणनीति के खिलाफ होगा
विश्लेषकों का सुझाव है कि हमास की यह स्थिति सम्मेलन की सफलता और प्रस्तावों की क्रियाशीलता पर गंभीर प्रश्न खड़े करती है। यदि वह सम्मिलित नहीं होंगे, तो रिहाई प्रक्रिया, शर्तों की समीक्षा और निष्पादन में बाधाएँ आ सकती हैं।इजरायल की कैबिनेट ने ट्रम्प द्वारा प्रस्तावित समझौते को मंजूरी दी है, जिसमें बंधकों की रिहाई, सैनिक वापसी और युद्धविराम शामिल है। सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों में फ्रांस, यूके, तुर्की, कतर आदि शामिल होंगे, जो मध्यस्थ या प्रभावित भूमिका खेलते रहे हैं। इस सम्मेलन की सफलता से न सिर्फ गाजा संघर्ष का मोड़ आ सकता है, बल्कि आतंकवाद-रोधी नीतियों, क्षेत्रीय संतुलन और अरब–इस्राएल संबंधों की दिशा भी प्रभावित हो सकती है।