अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और जापान की नई प्रधानमंत्री सना टकाइची ने दुर्लभ पृथ्वी (Rare Earths) और महत्वपूर्ण खनिजों (Critical Minerals) की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक आधिकारिक ढांचा समझौते पर हस्ताक्षर किए।
यह समझौता अमेरिका और उसके सहयोगियों की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य चीन पर वैश्विक निर्भरता कम करना है।
समझौते के मुख्य बिंदु
1. आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना
- यह समझौता महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखलाओं की सुरक्षा और लचीलापन बढ़ाने पर केंद्रित है।
- इन खनिजों का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, इलेक्ट्रॉनिक्स और उन्नत रक्षा प्रणालियों में किया जाता है।
समन्वित निवेश
- अमेरिका और जापान आर्थिक नीतियों और निवेशों के माध्यम से वैकल्पिक स्रोतों के विकास को तेजी से बढ़ावा देंगे।
- इसका उद्देश्य दुर्लभ पृथ्वी के स्थिर और विविध आपूर्ति नेटवर्क तैयार करना है।
प्रतीकात्मक समय
- यह समझौता ट्रम्प के टोक्यो दौरे के दौरान और APEC सम्मेलन से पहले साइन किया गया।
- विशेषज्ञों का कहना है कि यह समय बीजिंग को एक सशक्त संदेश देने के लिए चुना गया है।
व्यापक रणनीति का हिस्सा
- अमेरिका ने इससे पहले ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया और थाईलैंड के साथ भी ऐसे समझौते किए हैं।
- यह संकेत देता है कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखलाओं को विविध बनाने के लिए समन्वित प्रयास किए जा रहे हैं।
रणनीतिक संरेखण
- समझौता प्रधानमंत्री टकाइची के रूढ़िवादी, प्रॉ-अलाइनेंस विदेश नीति और उनके मेंटर शिंजो आबे के आर्थिक सुरक्षा फोकस के अनुरूप है।
- विशेषज्ञ इसे अमेरिका-जापान गठबंधन के “गोल्डन एरा” के रूप में देख रहे हैं।
समझौते का संदर्भ
- चीन ने लंबे समय तक दुनिया के दुर्लभ पृथ्वी बाजार पर प्रभुत्व बनाए रखा है, जिसमें खनन और विशेष रूप से प्रसंस्करण क्षमता शामिल है।
- हाल के वर्षों में चीन ने निर्यात पर प्रतिबंधों का उपयोग आर्थिक और राजनीतिक उपकरण के रूप में किया, जिससे अन्य देशों को वैकल्पिक स्रोतों की तलाश और निर्भरता कम करने की दिशा में कदम उठाने पड़े।
- अमेरिका-जापान समझौता इसी वैश्विक प्रवृत्ति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सप्लाई चेन में विविधता और सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
अमेरिका और जापान का यह समझौता चीन पर वैश्विक निर्भरता कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- यह उच्च तकनीक और रक्षा उद्योगों के लिए स्थिर और सुरक्षित खनिज आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।
- अमेरिका-जापान के बीच रणनीतिक और आर्थिक सहयोग और मजबूत होगा, और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में वैश्विक सप्लाई नेटवर्क का संतुलन स्थापित होगा।
