मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण घटना सामने आई है। जिले में पहली बार किसी महिला नक्सली ने हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले की 23 वर्षीय सुनीता ओयाम, जो माओवादी संगठन की सशस्त्र सुरक्षा टीम में थी, ने 1 नवंबर को हॉकफोर्स कैंप, चौरिया में आत्मसमर्पण किया।सुनीता माओवादी संगठन की केंद्रीय समिति सदस्य और एमएमसी जोन प्रभारी रामदेर की हथियारबंद गार्ड थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार, वह 2022 से संगठन में शामिल थी और छत्तीसगढ़ के माड़ क्षेत्र में छह महीने का प्रशिक्षण लेने के बाद मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के विभिन्न नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय रही। सुनीता पर तीन राज्यों—मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में कुल 14 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

आत्मसमर्पण के दौरान सुनीता ने इंसास राइफल, तीन मैगजीन, पिट्ठू बैग और संगठन की वर्दी पुलिस को सौंप दी। बालाघाट पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने पुष्टि की कि सुनीता से पूछताछ की जा रही है और आत्मसमर्पण की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि अन्य माओवादी पुनर्वास की इच्छुक हैं, तो उन्हें मध्य प्रदेश सरकार की नई आत्मसमर्पण पुनर्वास सह राहत नीति 2023 के तहत सहायता और लाभ प्रदान किया जाएगा।
आत्मसमर्पण के पीछे का कारण
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सुनीता के आत्मसमर्पण को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा उग्रवादियों को दी गई कड़ी चेतावनी और राज्य में बढ़ाए गए दबाव का सकारात्मक परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि यह आत्मसमर्पण 1992 के बाद पहली बार हुआ है, जब किसी अन्य राज्य के नक्सली ने मध्य प्रदेश सरकार के समक्ष हथियार डाले। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि पिछले 10 महीनों में राज्य में 1.46 करोड़ रुपये के इनामी नक्सलियों का सफाया किया गया है।
सुनीता का नक्सली जीवन और प्रशिक्षण
सुनीता ने 2022 में माओवादी संगठन में शामिल होकर माड़ क्षेत्र में छह महीने का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उसे एमएमसी जोन प्रभारी रामदेर की सुरक्षा में तैनात किया गया। उसने मध्य प्रदेश के इंद्रावती और माड़ क्षेत्रों के अलावा छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव और महाराष्ट्र के गोंदिया जिलों में सक्रियता दिखाई।31 अक्टूबर की सुबह करीब 4 बजे उसने अपने दलम से अलग होने का निर्णय लिया और जंगल में अपने हथियार और सामग्री छोड़ने के बाद हॉकफोर्स कैंप, चौरिया पहुंची।
पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
पुलिस अधिकारी ने बताया कि सुनीता के आत्मसमर्पण से यह स्पष्ट होता है कि नक्सली संगठन में भी अब बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। यह आत्मसमर्पण न केवल बालाघाट जिले के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पूरे मध्य प्रदेश में नक्सली प्रभावित क्षेत्रों में सकारात्मक संदेश भी देता है।पुलिस महानिरीक्षक संजय कुमार ने कहा कि सुनीता का आत्मसमर्पण मध्य प्रदेश की नक्सल नीति और राज्य में लगातार बढ़ते दबाव का नतीजा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य में नई नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास और राहत सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
मुख्यमंत्री का संदेश
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर कर कहा, “मध्य प्रदेश आत्मसमर्पण, पुनर्वास सह राहत नीति 2023 के तहत किसी महिला नक्सली का यह पहला आत्मसमर्पण है। यह दिखाता है कि हमारे प्रयास और नीतियां नक्सली प्रभावित क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं। हम आगे भी इन नीतियों के माध्यम से और अधिक नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास करेंगे।”यह आत्मसमर्पण मध्य प्रदेश और आसपास के नक्सल प्रभावित राज्यों में न केवल सुरक्षा बलों के कामयाब प्रयासों का परिणाम है, बल्कि यह उन लोगों के लिए भी एक प्रेरणा है जो हिंसा और अराजकता से बाहर निकलना चाहते हैं।










