आज पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ महर्षि वाल्मीकि जयंती मनाई जा रही है। आश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि को हर वर्ष महर्षि वाल्मीकि की जयंती मनाई जाती है, जिसे शरद पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस वर्ष यह शुभ दिन मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025 को मनाया जा रहा है। इस दिन मंदिरों, आश्रमों और समाजिक स्थलों पर विशेष क्रायक्रम आयोजित किए जाते हैं और लोग आदिकवि महर्षि वाल्मीकि को याद कर उनके उपदेशों को जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं।
महर्षि वाल्मीकि का जीवन और संघर्ष
महर्षि वाल्मीकि को संस्कृत साहित्य का प्रथम कवि (आदिकवि) माना जाता है। उन्होंने विश्व के सबसे महान ग्रंथों में से एक रामायण की रचना की, जिसे केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया आदर और श्रद्धा से पढ़ती है।
कहा जाता है कि महर्षि वाल्मीकि का बचपन का नाम रत्नाकर था। प्रारंभिक जीवन में वे वन में डाका डालकर अपना जीवन यापन करते थे। लेकिन एक दिन नारद मुनि से मुलाकात और राम-नाम के प्रभाव ने उनका जीवन बदल दिया। वे डाकू से साधु बने और बाद में महर्षि वाल्मीकि कहलाए। यही नहीं, उन्हें संस्कृत का पहला कवि भी कहा गया।
रामायण का योगदान
महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण केवल एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन के आदर्श, मर्यादा और धर्म का प्रतीक है।इसमें भगवान श्रीराम के आदर्श जीवन, संघर्ष और धर्म की स्थापना की कथा है।रामायण का प्रत्येक प्रसंग जीवन में सत्य, करुणा, कर्तव्य और धर्म का संदेश देता है।यह ग्रंथ न केवल हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए मार्गदर्शन का कार्य करता है।
वाल्मीकि जयंती का महत्व
महर्षि वाल्मीकि जयंती पूरे देश में हर्ष और उल्लास के साथ मनाई जाती है।इस अवसर पर शोभायात्राओं का आयोजन होता है।मंदिरों और आश्रमों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।लोग राम भजन गाते हैं और भक्ति-भाव से वाल्मीकि जी को स्मरण करते हैं।समाज में वाल्मीकि जी के विचारों को अपनाने का संकल्प लिया जाता है।
महर्षि वाल्मीकि की शिक्षाएँ
महर्षि वाल्मीकि का जीवन हमें सिखाता है कि सही मार्ग पर चलने में कभी देर नहीं होती। उन्होंने अपने जीवन से साबित किया कि व्यक्ति अपने कर्म और भक्ति के बल पर अंधकार से प्रकाश की ओर जा सकता है।उनका संदेश है कि धर्म, सत्य और मर्यादा ही जीवन के सर्वोच्च मूल्य हैं।रामायण के माध्यम से उन्होंने सिखाया कि सद्मार्ग पर चलने से ही समाज और मानवता का कल्याण संभव है।
रामायण के हैं जो रचयिता,
संस्कृत के हैं जो कवि महान,
ऐसे पूज्य गुरुवर के
चरणों में हमारा प्रणाम।
महर्षि वाल्मीकि जयंती केवल एक पर्व नहीं बल्कि यह हमें जीवन में सत्य, धर्म और मर्यादा अपनाने की प्रेरणा देती है। जिस प्रकार महर्षि वाल्मीकि ने अपने जीवन में परिवर्तन लाकर समाज को एक महान काव्य प्रदान किया, उसी प्रकार हमें भी उनके उपदेशों को अपनाकर समाज में सद्भाव और भक्ति का संदेश फैलाना चाहिए।