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PUNJAB CONGRESS अध्यक्ष राजा वड़िंग और राजवीर भुल्लर को परिवार समेत जान से मारने की धमकी, पाकिस्तान में बैठे 3 गैंगस्टरों के खिलाफ FIR दर्ज

पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और लुधियाना सांसद अमरींदर सिंह (राजा) वड़िंग  तथा सीनियर कांग्रेस नेता राजबीर सिंह भुल्लर को मृत्यु की धमकियाँ मिलने के बाद पूरे मामले ने राजनीतिक माहौल को तनावग्रस्त कर दिया है। स्थानीय पुलिस ने इस मामले में पाकिस्तान से जुड़े बताए जा रहे गैंगस्टर व ख़ालिस्तानी आतंकी हरविंदर रिंदा और दो अन्य व्यक्तियों के खिलाफ तरनतारन में FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। कांग्रेस के सीनियर नेता राजबीर सिंह भुल्लर ने पुलिस को शिकायत दी है कि उन्हें 31 अक्टूबर को एक विदेशी नंबर से वॉट्सऐप कॉल आई, जिसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजा वड़िंग और भुल्लर दोनों को जान से मारने की धमकी दी गई। बाद में उसी दिन एक वॉइस मैसेज भी प्राप्त हुआ, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि वड़िंग और उनका परिवार “खत्म” कर दिया जाएगा और भुल्लर को भी नहीं छोड़ा जाएगा। शिकायत मिलते ही तरनतारन पुलिस ने उच्च स्तरीय जांच और सुरक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की। स्थानीय पुलिस ने प्राथमिक तौर पर मामला पाकिस्तान में बैठे कथित आरोपियों से जोड़कर देखा और संबंधित धाराओं के साथ FIR दर्ज की गई।

बयान और राजनीतिक संदर्भ

राजा वड़िंग कुछ दिनों पहले ही तरनतारन में चुनावी रैली के दौरान खुले शब्दों में गैंगस्टरों को चुनौती दे चुके थे और कहा था कि अगर पंजाब को “बंदूक, टकुए और फिरौती वालों” का राज्य बनाना है तो लोग तय कर लें। ऐसे वक्तव्य के बाद यह धमकी इसे उसी बयान से जोड़कर देखी जा रही है। इस टिप्पणी को लेकर इलाकाई और राजनैतिक स्तर पर पहले भी चर्चा और बहस हुई थी; चुनावी माहौल में ये घटनाएँ और संवेदनशील बन जाती हैं।

पुलिस और प्रशासनिक कार्रवाई

तरनतारन पुलिस ने शिकायत पर तुरंत FIR दर्ज कर दी है और शामिल आरोपियों जिनमें हरविंदर रिंदा का नाम है जिसकी पहचान और लोकेशन को लेकर तकनीकी व क्रॉस-बॉर्डर कनेक्शन की शुरुआती तहकीकात शुरू कर दी है।स्थानीय प्रशासन ने वड़िंग व भुल्लर की सुरक्षा पुख्ता करने के आदेश जारी किए हैं। साथ ही डिजिटल फ़ॉरेंसिक टीम को वॉट्सऐप कॉल/वॉइस मैसेज के स्रोत का पता लगाने का काम दिया गया है। जांच में विदेशी नंबरों, वॉइस क्लोनिंग या वॉइस मैसेज के एडिटिंग के पहलुओं पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

 

जिन नंबरों तथा वॉइस मैसेजों का इस्तेमाल किया गया, वे विदेशी स्रोत से आने का दावा किया जा रहा है। ऐसी परिस्थितियों में आमतौर पर फ़ॉरेंसिक, इंटरपोल/दोस्ती देशों की एजेंसियों के साथ समन्वय और विदेशी नेटवर्क के वित्तीय/साइबर ट्रेस की जरूरत पड़ती है। पुलिस ने फिलहाल प्राथमिक जांच और डिजिटल सबूत जुटाने को प्राथमिकता दी है।

 

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