ट्राईसिटी (चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला) में मंगलवार को कैब चालकों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर हड़ताल का ऐलान किया। सैकड़ों की संख्या में चालक अपनी गाड़ियां रोककर चंडीगढ़ के सेक्टर-17 ग्राउंड में एकत्र हुए और चंडीगढ़ प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। चालकों ने चेतावनी दी कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, उनका धरना-प्रदर्शन अनिश्चितकाल तक जारी रहेगा।
नई नीति बनी पर लागू नहीं हुई
ट्राईसिटी कैब यूनियन के अध्यक्ष अमनदीप सिंह ने बताया कि चंडीगढ़ प्रशासन ने वर्ष 2026 के लिए नई ट्रांसपोर्ट पॉलिसी तैयार की थी, जिसमें कैब सेवाओं से संबंधित कई सुधारों और दरों के पुनर्निर्धारण का प्रस्ताव था। हालांकि, यह नीति अब तक लागू नहीं की गई है।अमनदीप सिंह ने कहा, “पिछले चार महीनों से प्रशासन ने ₹15 प्रति किलोमीटर की दर तय की हुई है, लेकिन मौजूदा महंगाई में यह दर बेहद कम है। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें और गाड़ियों के रखरखाव का खर्च लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में इस दर पर कोई भी चालक घर का गुजारा नहीं कर पा रहा।”

‘न घर चलता, न गाड़ी’ चालकों का दर्द
प्रदर्शन कर रहे चालकों ने बताया कि इस समय ईंधन के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, साथ ही इंश्योरेंस, मेंटेनेंस और टैक्स जैसे खर्चे भी बढ़े हैं।एक चालक ने कहा, “आज महंगाई इस कदर बढ़ गई है कि 15 रुपये प्रति किलोमीटर की दर पर हम न तो अपने वाहन का खर्च निकाल पा रहे हैं, न ही परिवार की जरूरतें पूरी कर पा रहे हैं। प्रशासन सिर्फ बैठकों में वादे करता है, लेकिन जमीनी कार्रवाई नहीं होती।”
ऐप आधारित कंपनियों पर गंभीर आरोप
कैब चालकों ने ऐप आधारित राइड कंपनियों पर भी निशाना साधा। उनका कहना है कि कई ऐप कंपनियां शहर में सफेद प्लेट वाले निजी वाहनों को गैरकानूनी रूप से व्यावसायिक सेवा के रूप में चला रही हैं।अमनदीप सिंह ने कहा कि “यह सीधे तौर पर वैध कैब चालकों के साथ अन्याय है। प्रशासन को ऐसे वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, जो बिना व्यावसायिक अनुमति के कैब सेवा चला रहे हैं।”
प्रशासन से त्वरित समाधान की मांग
कैब यूनियन ने प्रशासन से तत्काल बातचीत करने की मांग की है ताकि किराया दरों की समीक्षा की जा सके और नई पॉलिसी को लागू किया जाए। यूनियन का कहना है कि वे बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन जब तक कोई ठोस फैसला नहीं लिया जाता, धरना जारी रहेगा।अमनदीप सिंह ने कहा, “हमारा मकसद जनता को परेशान करना नहीं है, बल्कि अपनी बात प्रशासन तक पहुंचाना है। जब तक उचित किराया और नीति लागू नहीं की जाती, हम पीछे नहीं हटेंगे।”