पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) में सोमवार दोपहर एक बार फिर तनावपूर्ण माहौल बन गया। विश्वविद्यालय के गेट नंबर दो पर छात्रों ने प्रदर्शन करते हुए गेट बंद कर दिया, जिससे परिसर में अफरा-तफरी मच गई। मौके पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई और अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया। छात्रों ने पुलिस के खिलाफ नारे लगाए, जिसमें “चंडीगढ़ पुलिस गो बैक” प्रमुख थे।पंजाब यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज के छात्र अभिषेक डागर पिछले चार दिन से मरण व्रत पर बैठे हुए हैं। अभिषेक डागर स्टूडेंट आर्गेनाइजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी के नेता और कौंसल के महासचिव भी हैं। धरने में शामिल छात्रों ने हाथों में प्लेकार्ड और बैनर लेकर अपनी मांगें जताईं, जिनमें “स्टूडेंट्स सेव सीनेट” और “सेव पीयू” लिखे हुए थे।
छात्रों का आरोप है कि प्रशासन द्वारा जून 2025 में जारी किए गए हलफनामे ने छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर अंकुश लगाने की कोशिश की है। इस हलफनामे में 11 शर्तें थीं, जिनमें विश्वविद्यालय में किसी भी तरह के प्रदर्शन में भाग न लेने और किसी भी तरह के क्रिमिनल केस न होने की शर्त शामिल है। छात्र संघ के सदस्य इस नियम के खिलाफ पहले से ही विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

पुलिस और छात्रों में झड़प
धरने को हटाने के लिए मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी छात्रों से पहले बातचीत के जरिए और बाद में हलके बल का प्रयोग करने की कोशिश की। इस दौरान छात्रों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि कुछ पुलिसकर्मी शराब के नशे में थे और उनके साथ दुर्व्यवहार किया। अभिषेक डागर को जब अस्पताल में दाखिल कराने का प्रयास किया गया, तो छात्रों ने इसका विरोध किया और जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी।छात्र संघर्ष में स्थानीय और राज्य स्तर के नेताओं का समर्थन भी दिखाई दिया। फरीदकोट से सांसद सरबजीत सिंह खालसा मौके पर पहुंचे और छात्रों के साथ अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि छात्रों की मांगों को गंभीरता से लिया जाए।इसके अलावा चंडीगढ़ से सांसद मुनीष तिवाड़ी और फतेहगढ़ साहिब से सांसद मालविंदर सिंह कंग समेत कई पुराने छात्र नेता भी लगातार धरने स्थल पर आ रहे हैं और प्रशासन के रवैये के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप
छात्र नेताओं का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन का रुख लोकतांत्रिक जवाबदेही के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि हलफनामे के खिलाफ एक याचिका पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में भी दायर की गई थी, लेकिन प्रशासन ने इसे नजरअंदाज किया। छात्रों का आरोप है कि उनका असहमति जताने का अधिकार छीना जा रहा है और विश्वविद्यालय ने किसी भी तरह की पारदर्शी बातचीत करने से इंकार किया है।

सीनेट और सिंडिकेट भंग, गेट नंबर दो पर हंगामा
पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट और सिंडिकेट को भंग करने के निर्णय के बाद भी छात्रों का विरोध जारी है। गेट नंबर दो पर ताले तोड़ दिए गए और सिक्योरिटी स्टाफ और छात्रों के बीच जमकर झड़प हुई। परिसर में अफरा-तफरी मची रही, लेकिन छात्र अपनी मांगों पर अड़े रहे।पंजाब यूनिवर्सिटी में चल रहे यह प्रदर्शन न केवल छात्रों के अधिकारों की लड़ाई है, बल्कि यह विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्र समुदाय के बीच लोकतांत्रिक संवाद की कमी को भी उजागर करता है। छात्र अपने मूल अधिकारों और हलफनामे के खिलाफ विरोध जारी रखेंगे, जबकि नेताओं और संसद सदस्यों का समर्थन लगातार बढ़ता जा रहा है।










