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चारधाम यात्रा 2025: कपाट बंद होने की तिथियां घोषित ,पंचांग गणना के आधार पर तय हुई तिथियां ,25 नवंबर को बद्रीनाथ के साथ होगा समापन

उत्तराखंड के चारों धामों और पंच केदारों के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने की तारीखें तय कर दी गई हैं। गुरुवार को विजयदशमी के अवसर पर पंचांग गणना के आधार पर इन धामों के कपाट बंद होने की तिथियां घोषित कर दी गई हैं। भैया दूज के पावन पर्व पर इन धामों के कपाट बंद होने का शुभ मुहूर्त निकाला गया है। इस वर्ष की यात्रा का समापन 25 नवंबर को बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ हो जाएगा, बाकी सभी प्रमुख धामों के कपाट इससे पहले ही बंद हो जाएगें।

CHARDHAM YATRA: बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया 21 नवंबर से पंच पूजा के साथ शुरू हो जाएगी। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी ने बताया कि केदारनाथ धाम और यमुनोत्री धाम के कपाट 23 अक्तूबर को भैया दूज पर बंद होंगे। उन्होंने बताया कि गंगोत्री धाम के कपाट 22 अक्तूबर को अन्नकूट गोवर्धन पूजा के मौके पर शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। इसके अलावा द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट 18 नवंबर और तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट 6 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद होंगे। इसी के साथ 25 नवंबर को चारधाम यात्रा का समापन हो जाएगा।

 

23अक्तूबर  को बंद होंगे केदारनाथ के कपाट

केदारनाथ धाम मंदिर के कपाट 23 अक्टूबर को भैया दूज पर्व पर सुबह 8:30 बजे शीतकाल के लिए बंद होंगे। पंचांग पूजा के बाद मंदिर के कपाट बंद होने की तिथि तय की गई है। कपाट बंद होने के बाद उसी दिन बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होगी। हम आपको बता दें कि उत्तराखंड के चारधाम शीतकाल में बर्फ से लकदक हो जाते हैं। इसी के चलते शीतकाल में इन धामों की पूजा निचले इलाकों के शीतकालीन गद्दीस्थल में होती है।

यमुनोत्री धाम

यमुनोत्री धाम के कपाट 23 अक्तूबर को भैया दूज के शुभ पर्व पर दोपहर 12:30 बजे बंद होंगे। कपाट बंद होने से पूर्व परंपरा के अनुसार भगवान शनिदेव की डोली अपनी बहन मां यमुना को लेने यमुनोत्री पहुंचेगी। कपाट बंद होने के उपरांत मां यमुना की विग्रह डोली अपने शीतकालीन प्रवास खरसाली गांव स्थित मंदिर में विराजमान होगी, जहां अगले छह महीनों तक श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे।

गंगोत्री धाम

गंगोत्री धाम के कपाट 22 अक्तूबर को अन्नकूट पर्व के अवसर पर सुबह 11:36 बजे बंद होंगे। कपाट बंद होने के बाद मां गंगा का शीतकालीन प्रवास गंगोत्री से मुखबा गांव स्थित मंदिर में होगा।

पंचाग गणना से तय हुई तिथि

हर साल चारधाम यात्रा विधि-विधान से ही शुरू होती है और उसी अनुरूप समाप्त भी होती है। अब यात्रा अपने अंतिम चरण में हैं, जिसमें बद्रीनाथ के कपाट को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।बद्रीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर शाम को 2:56 पर बंद होंगे। वहीं द्वितीय केदार भगवान मध्यमेश्वर के कपाट 18 नवंबर को बंद किए जाएंगे। सभी धामों के कपाट विधि-विधान से बंद होने के बाद अब ये अगले वर्ष ही श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोले जाएँगे।

यात्रा का लेखा-जोखा

इस वर्ष, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम में 45 लाख से अधिक श्रद्धालु  दर्शन के लिए पहुँचे। अधिकारियों का मानना है कि यदि जून मध्य, जुलाई और अगस्त में आई प्राकृतिक आपदाओं (भारी बारिश और भूस्खलन) ने बाधा न डाली होती, तो यह संख्या रिकॉर्ड भी तोड़ सकती थी।उत्तराखंड सरकार ने इस वर्ष यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए व्यापक इंतज़ाम किए थे, जिनमें पंजीकरण अनिवार्यता (ऑनलाइन/ऑफलाइन), हेल्पलाइन, और NDRF/SDRF की टीमों की तैनाती शामिल थी, जिससे यात्रा अपेक्षाकृत सुगम बनी रही।

 

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