Delhi-NCR AQ धुंध की चादर में लिपटी राजधानी दिवाली के दूसरे दिन भी हवा में ज़हर,

Delhi-NCR AQI Report: धुंध की चादर में लिपटी राजधानी दिवाली के दूसरे दिन भी हवा में ज़हर,

दिवाली के अगले दिन यानी मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर की हवा खतरनाक स्तर पर पहुँच गई। Central Pollution Control Board (CPCB) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 345 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है।
सुबह के समय कई इलाकों में स्थिति इतनी खराब रही कि AQI 900 से भी ऊपर पहुँच गया — यानी हवा में ज़हर घुल चुका है। राजधानी के ऊपर धुंध की मोटी परत छाई रही, जिससे दृश्यता और सांस दोनों प्रभावित हुईं

🧭 दिल्ली-NCR में कहां कितना AQI दर्ज हुआ

क्षेत्र AQI स्तर श्रेणी
चाणक्य प्लेस 979 गंभीर (Severe)
नारायणा विलेज 940 गंभीर
तिगरी एक्सटेंशन 928 गंभीर
आनंद विहार 458 बहुत खराब
आईटीओ 421 बहुत खराब
गुरुग्राम 384 बहुत खराब
नोएडा 352 बहुत खराब
फरीदाबाद 336 खराब

📊 38 में से 36 मॉनिटरिंग स्टेशन रेड जोनमें रहे यानी वायु गुणवत्ता बहुत खराब से गंभीर श्रेणी में रही।

  1. पटाखों का धुआं — दिवाली की रात बड़े पैमाने पर आतिशबाजी से PM2.5 और PM10 कणों की मात्रा कई गुना बढ़ी।
  2. मौसमी स्थिति — अक्टूबर-नवंबर में ठंडी रातें और कम हवा की गति प्रदूषकों को ऊपर नहीं उठने देतीं।
  3. पराली जलाना — पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से उठने वाला धुआं हवा को और ज़हरीला बनाता है।
  4. वाहन और निर्माण कार्य — वाहनों का उत्सर्जन और धूलभरे निर्माण स्थल प्रदूषण में निरंतर योगदान देते हैं।

डॉक्टरों के अनुसार, AQI 400+ स्तर पर लगातार रहना फेफड़ों, दिल और आंखों पर गंभीर प्रभाव डालता है।
दिल्ली AIIMS के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि बच्चे, बुज़ुर्ग और अस्थमा या हार्ट डिज़ीज़ के मरीजों को इस समय घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए

👩‍⚕️ वायु में इतना अधिक पार्टिकुलेट मैटर है कि एक दिन का एक्सपोजर भी सिगरेट पीने के बराबर नुकसान पहुंचा सकता है,” — AIIMS पल्मोनरी विभाग।

🛑 सरकारी कदम: GRAP लागू होने की संभावना

 

वर्ष दिवाली के बाद औसत AQI श्रेणी
2023 218 खराब
2024 328 बहुत खराब
2025 345+ बहुत खराब / गंभीर

ग्रीन पटाखों की अनुमति और जागरूकता अभियानों के बावजूद, इस साल दिल्ली की हवा पिछले पांच सालों में सबसे ज़्यादा खराब दर्ज की गई।दिवाली के दूसरे दिन दिल्ली-एनसीआर एक बार फिर गैस चैंबर बन गई।
पटाखों, पराली, ठंडी हवा और निर्माण धूल ने मिलकर प्रदूषण का ऐसा मिश्रण तैयार किया जिससे लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया।
यह समय है कि सरकार के साथ-साथ आम नागरिक भी अपनी भूमिका समझें — कम वाहन, कम पटाखे, और स्वच्छ जीवनशैली ही इस संकट का स्थायी समाधान हैं।

 

 

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