विपक्ष के नेता राहुल गांधी का केंद्र सरकार पर तीखा हमला

24 सितंबर को लद्दाख में राज्य के दर्जे और संविधान के छठे शेड्यूल की मांग को लेकर हो रहा शांतिपूर्ण प्रदर्शन अचानक हिंसक हो गया, जब प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय भाजपा कार्यालय में आग लगा दी और पुलिस तथा सीआरपीएफ पर पथराव किया। जवाब में पुलिस ने फायरिंग की, जिसमें चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए। मृतकों में कारगिल युद्ध के हीरो और पूर्व सैनिक त्सेवांग थरचिन भी शामिल थे। इस घटना ने न सिर्फ लद्दाख बल्कि पूरे देश में राजनीतिक और सामाजिक हलचल मचा दी है।

वहीं कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इसे लद्दाख की जनता के साथ एक गहरा विश्वासघात बताया और इस पूरे मामले की निष्पक्ष न्यायिक जांच की मांग की। राहुल गांधी ने एक वीडियो साझा किया, जिसमें त्सेवांग थरचिन के पिता भावुक नजर आ रहे हैं। उन्होंने लिखा कि “पिता सेना में, बेटा सेना में—देशभक्ति इनके खून में है। फिर भी इस देशभक्त बेटे को भाजपा सरकार ने गोली मार दी, सिर्फ इसलिए क्योंकि वह लद्दाख के लिए और अपने अधिकारों के लिए खड़ा था।” राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से पूछा कि क्या यही है देश की सेवा का इनाम? उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाना सरकार की नाकामी है और यह लोकतंत्र के लिए एक शर्मनाक दिन है।

कांग्रेस पार्टी ने भी इस घटना की तीखी निंदा की है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि त्सेवांग थरचिन ने सियाचिन ग्लेशियर पर सेवा दी थी और कारगिल युद्ध में वीरता से लड़े थे। इसके बावजूद सरकार ने उन्हें और अन्य तीन लोगों को गोली मार दी, जब वे शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। रमेश ने इसे बेहद दुखद और शर्मनाक बताया।

इस घटना के दो दिन बाद, प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को भी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत में लेकर राजस्थान के जोधपुर जेल भेज दिया गया। यह गिरफ्तारी और पुलिस फायरिंग की घटना अब लद्दाख की सीमाओं को पार कर पूरे देश में चिंता और आक्रोश का विषय बन चुकी है। यह मामला अब न्याय, अधिकार और लोकतांत्रिक विरोध की स्वतंत्रता से जुड़ा एक संवेदनशील राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है, जिस पर केंद्र सरकार की जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग की जा रही है।

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