भारत सरकार ने सिख श्रद्धालुओं (जत्थे) को पाकिस्तान जाने की अनुमति दे दी है। यह जत्था आगामी धार्मिक अवसर पर पाकिस्तान के गुरुद्वारों में दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए जाएगा। हर साल बड़ी संख्या में सिख श्रद्धालु पाकिस्तान के ऐतिहासिक गुरुद्वारों — ननकाना साहिब, करतारपुर साहिब और पंजा साहिब सहित अन्य पवित्र स्थलों — की यात्रा करते हैं।
यह अनुमति भारत सरकार और पाकिस्तान सरकार के बीच हुई समझौता व्यवस्था (Protocol on Visits to Religious Shrines, 1974) के तहत दी जाती है। इस प्रोटोकॉल के अनुसार, दोनों देशों के श्रद्धालुओं को विशेष अवसरों पर धार्मिक स्थलों के दर्शन का अवसर मिलता है।
गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के अवसर पर, भारत सरकार ने सिख जत्थों को पाकिस्तान जाने की अनुमति दे दी है। यह एक ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण फैसला है, क्योंकि हर साल लाखों सिख गुरु साहिब के प्रकाश उत्सव पर पाकिस्तान के पवित्र स्थलों पर जाकर माथा टेकने की इच्छा रखते हैं।
यह अनुमति SGPC – यानी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की मांग के बाद दी गई है। SGPC कई दिनों से भारत सरकार से अरदास कर रही थी कि सिख समुदाय को पाकिस्तान में श्री ननकाना साहिब और अन्य गुरुद्वारों के दर्शन करने का मौका दिया जाए। अब अंत में Ministry of Home Affairs (MHA) ने मंजूरी दे दी है।
लेकिन, यह अनुमति कुछ कड़े शर्तों के साथ दी गई है:
1.पहली शर्त यह है कि केवल वही आवेदन स्वीकार किए जाएंगे जो सिख धार्मिक संगठनों के माध्यम से सबमिट किए जाएंगे।
2.दूसरी शर्त यह है कि हर आवेदन की सख्त जांच होगी – राज्य पुलिस, CID और खुफिया एजेंसियां हर दस्तावेज को अच्छे से जांचेंगी। इसके बाद ही यह आवेदन 22 अक्टूबर, 2025 तक MHA को भेजे जाएंगे।
3.तीसरी शर्त – केवल वही जत्था पाकिस्तान यात्रा कर सकता है, जिसे MHA और Ministry of External Affairs की सिफारिश मिली हो और जिसको पाकिस्तान वीज़ा जारी किया गया हो। यात्रा केवल अटारी बॉर्डर के इंटरनेशनल चेक पोस्ट के माध्यम से ही होगी।
महत्वपूर्ण बात, जो स्पष्ट रूप से कही गई है – कोई भी व्यक्ति अपने आप, भले ही उसके पास वैध पाकिस्तान वीज़ा हो, जत्थे से अलग यात्रा नहीं कर सकता। यह कदम सुरक्षा कारणों से उठाया गया है, क्योंकि सीमा पार की गतिविधियां संवेदनशील मामला होती हैं।
सिख समुदाय के लिए यह बड़ी खुशी की बात है। हर साल प्रकाश पर्व के समय सिख भक्त पाकिस्तान के पवित्र स्थलों पर जाकर गुरु साहिब को माथा टेकने के लिए उत्साहित रहते हैं। अनुमति न मिलने की वजह से कई बार समुदाय निराश होता रहा है। लेकिन इस बार सरकार के फैसले के साथ संगत की अरदास पूरी होती नजर आ रही है।
सुरक्षा एजेंसियां अपना काम कर रही हैं, लेकिन धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना भी उतना ही जरूरी है। इस कदम से भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक कूटनीति का भी एक सकारात्मक संदेश जाता है।
इस फैसले के बाद सिख समुदाय में खुशी का माहौल है। श्रद्धालुओं का मानना है कि उन्हें अपने ऐतिहासिक और धार्मिक गुरुद्वारों में जाकर मत्था टेकने का सौभाग्य मिलेगा। वहीं, सरकार ने जत्थे की सुरक्षा और प्रबंधन को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं।
👉 यह यात्रा भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंधों और धार्मिक-सांस्कृतिक जुड़ाव को भी दर्शाती है।