मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ सिरप त्रासदी: छोटें बच्चों की मौत, श्रीसन मेडिकल्स के मालिक को पुलिस ने किया गिरफ्तार , 14 साल से चला रहे थे कंपनी ,औषधि कंपनी में मिली घातक गड़बड़ियां

मध्य प्रदेश पुलिस ने बच्चों की मौत का कारण बने जानलेवा कोल्ड्रिफ कफ सिरप मामले में बड़ी सफलता हासिल की है। पुलिस ने श्रीसन मेडिकल्स के मालिक एस. रंगनाथन को गिरफ्तार कर लिया है। यह कार्रवाई उस दुखद घटना के बाद हुई है, जिसमें कथित रूप से दूषित कफ सिरप पीने से मध्य प्रदेश में 21 बच्चों की मौत हो गई।हिरासत में लिए जाने के बाद रंगनाथन से इस पूरे मामले के संबंध में पूछताछ की जा रही है। रंगनाथन को पहले चेन्नई की अदालत में पेश किया जाएगा और ट्रांजिट रिमांड मिलने के बाद मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा लाया जाएगा। तमिलनाडु, केरल, मध्य प्रदेश, पंजाब और अरुणाचल प्रदेश सहित कई राज्यों ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। तेलंगाना, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों ने भी अलर्ट जारी किया है।

मामला: कैसे हुआ विवाद?

2 अक्टूबर 2025 को तमिलनाडु के औषधि नियंत्रण अधिकारियों ने घोषणा की कि उनके परीक्षण में पाया गया कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप मिलावटी था। रिपोर्ट में यह सामने आया कि सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) 48.6% W/V पाया गया ,जो एक जहरीला पदार्थ है, जो इसकी सामग्री को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बना सकता है. डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) एक जहरीला पदार्थ है जो किडनी को नुकसान पहुंचाता हैसीडीएससीओ की जांच में श्रीसन फार्मा की फैक्ट्री में DEG के बिना बिल वाले कंटेनर पाए गए। कंपनी कथित रूप से सिरप में 46-48 प्रतिशत DEG मिला रही थी, जबकि सीमा केवल 0.1 प्रतिशत है।

बच्चों की मौत का आंकड़ा

मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ पीने से अब तक 20 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि पांच बच्चे नागपुर में गंभीर हालत में हैं। छिंदवाड़ा में 17, पांढुर्ना में एक और बैतूल में दो बच्चों की मौत हुई। बीते 24 घंटों में तीन और मासूमों ने दम तोड़ दिया।

गिरफ्तारी कैसे हुई

छिंदवाड़ा के पुलिस अधीक्षक अजय पांडे ने बताया कि रंगनाथन की गिरफ्तारी दो टीमों के संयुक्त अभियान के बाद हुई। पुलिस चेन्नई और कांचीपुरम तक गई और गिरफ्तार आरोपी को ट्रांजिट रिमांड मिलने के बाद मध्य प्रदेश लाया जाएगा।रंगनाथन के खिलाफ पहले 20,000 रुपये का इनाम घोषित किया गया था। वे श्रीसन फार्मास्युटिकल्स कंपनी के निदेशक हैं और 14 वर्षों से कांचीपुरम में अपनी कंपनी चला रहे थे।

कंपनी में मिली गड़बड़ियां

जांच में पाया गया कि कंपनी ने दवाइयां अत्यंत गंदगी और खराब सुविधाओं में बनाई। तमिलनाडु औषधि अधिकारी ने पाया कि कंपनी ने प्रोपलीन ग्लायकॉल, जो दवा निर्माण के लिए गैर-फार्मास्युटिकल ग्रेड का था, खरीदा और उसका परीक्षण भी नहीं कराया।कंपनी ने डायथिलीन ग्लायकॉल और एथिलीन ग्लायकॉल जैसी जहरीली रसायनों की मात्रा परीक्षण के बिना दवा में मिलाई। लैब जांच में यह मात्रा 486 गुना अधिक पाई गई।

मार्च में खरीदा गया था केमिकल

जांच रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने चेन्नई की सनराइज बायोटेक से 25 मार्च 2025 को प्रोपलीन ग्लायकॉल खरीदा था। यह नॉन फार्मास्यूटिकल ग्रेड का था यानी दवा बनाने के लिए उपयुक्त नहीं था। इसके बावजूद कंपनी ने न तो इसकी शुद्धता जांची और न ही इसमें डाईएथिलीन ग्लायकॉल या एथिलीन ग्लायकॉल की मात्रा का परीक्षण किया।

बैच और बॉटल की जानकारी

जांच दल को कंपनी से कोल्ड्रिफ के बैच नंबर SR-13 की 589 बॉटल मिली, जो छिंदवाड़ा भेजने के लिए तैयार की गई थीं। इसी बैच की सिरप पीने से बच्चों की किडनी फेल और ब्रेन में सूजन आई।साथ ही, जांच में कंपनी से 4 और सिरप भी मिले हैं।रेस्पोलाइट डी दवाई की 1534 बॉटल और रेस्पोलाइट जीएल की 2800 बॉटल ,रेस्पोलाइट एसटी की 736 बॉटल और हेपसंडिन सिरप की 800 बॉटल पाई गई है।

मुख्यमंत्री का हाल जाना

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नागपुर पहुंचकर अस्पताल में भर्ती बच्चों का हाल जाना और उनके परिजनों से बात की। CM ने वहां के अस्पतालों में भर्ती चारों बच्चों का हाल जाना। उनके परिजन से बात की। इनमें से गार्विक पवार नागपुर मेडिकल कॉलेज में, अंबिका विश्वकर्मा न्यू हेल्थ सिटी हॉस्पिटल जबकि कुणाल यदुवंशी और हर्ष यदुवंशी नागपुर एम्स में इलाज करा रहे हैं।

सिरप की 5870 बॉटल जांच दल को मिली

जांच दल को फार्मास्युटिकल्स कंपनी की मैन्यूफैक्चरिंग साइट से कोल्ड्रिफ के अलावा 4 और सिरप मिले। इनमें 1534 बॉटल रेस्पोलाइट डी, 2800 बॉटल रेस्पोलाइट जीएल, 736 बॉटल रेस्पोलाइट एसटी और 800 बॉटल हेपसंडिन सिरप थे। हालांकि, जांच में यह स्टैंडर्ड क्वालिटी के पाए गए।

यह मामला पूरे देश में दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा की जांच की गंभीर आवश्यकता को उजागर करता है। कोल्ड्रिफ कफ सिरप की वजह से बच्चों की मौत ने एक बार फिर से चेताया कि दवा निर्माण में मानक नियमों का पालन न करने से कितना बड़ा नुकसान हो सकता है।

 

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