बिहार विधानसभा चुनाव में पूर्व CM लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव अब राजनीति में अलग थलग पड़ते दिखाई दे रहे हैं। क्योंकि परिवार ने तो उन्हें अलग किया ही था लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि अखिलेश यादव ने भी उनसे अपने रास्ते अलग कर लिए हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य का राजनीतिक पारा धीरे-धीरे बढ़ रहा है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) अध्यक्ष लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। इसके साथ ही उनके निजी और राजनीतिक रिश्तों में बड़ा बदलाव आया है। लालू परिवार और RJD से अलग होने के बावजूद, तेजप्रताप यादव के रिश्ते समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ पहले अच्छे थे। पार्टी से अलग होने के बाद भी, तेजप्रताप और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को कई बार वीडियो कॉल पर बात करते देखा गया था, लेकिन ऐसा लग रहा है कि अब दोनों के बीच रिश्तों में खटास आ गई है। तेजप्रताप यादव ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि उन्होंने अखिलेश यादव को सोशल मीडिया एक्स पर अनफॉलो कर दिया है।
पूर्व मंत्री तेजप्रताप ने इसके पीछे का कारण बताते हुए कहा कि जब अखिलेश यादव ‘वोटर अधिकार’ के लिए पटना आए थे, तब उन्होंने तेजप्रताप का फोन तक नहीं उठाया। तेजप्रताप ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा- “वो पटना आए तो उन्होंने एक फोन नहीं उठाया। वो ताज होटल में रुके थे, मैंने कई बार संदेश भिजवाया लेकिन कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद मैंने उनको अनफॉलो कर दिया।” दूसरी तरफ अखिलेश यादव ने अपने पटना दौरे के दौरान राबड़ी देवी के आवास जाकर लालू यादव और पूरे परिवार से मुलाकात की थी।इससे पहले तेजप्रताप यादव RJDसे निष्कासन और परिवार से बेदखल होने के बाद अपने लालू प्रसाद और छोटे भाई तेजस्वी समेत कई लोगों को अनफॉलो करने का काम किया था।
लालू यादव और मुलायम सिंह यादव के परिवारों के बीच काफी पुराना रिश्ता रहा है। लालू यादव की बेटी राजलक्ष्मी की शादी अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव के साथ हुई है। जब तेजप्रताप को RJD से बेदखल किया गया था, तो ऐसी चर्चा थी कि वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, तेजप्रताप के इस नए खुलासे के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि न केवल लालू यादव के पूरे परिवार से, बल्कि अखिलेश यादव के परिवार से भी उनके राजनीतिक और निजी रिश्ते अब समाप्त हो चुके हैं।
अब ये तो भई राजनीति है। आज जो दोस्त है कल वही दुश्मन बन जाते है। लेकिन फिर राजनीतिक फायदे के लिए हाथ भी मिला लेते हैं। लेकिन यहां पर जनता को समझदारी दिखाने की जरूरत है ओर अपने नेता का सोच समझ कर ही चुनाव करे।