अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के खिलाफ अमेरिका के कई बड़े शहरों में शनिवार को ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन हुए। वॉशिंगटन डीसी, न्यूयॉर्क, शिकागो, लॉस एंजेलेस और कई अन्य शहरों में लाखों लोग सड़कों पर उतरे। यह प्रदर्शन “नो किंग्स” नाम से बुलाया गया था, जिसका मकसद राष्ट्रपति ट्रंप के अधिनायकवादी रवैये और प्रशासन की नीतियों के खिलाफ एक मजबूत संदेश देना था।
प्रदर्शन का दायरा और सहभागिता
इस विरोध प्रदर्शन में अमेरिका के 2,700 से अधिक शहरों और कस्बों से लोग शामिल हुए। आयोजकों के अनुसार, कुल मिलाकर लगभग 70 लाख लोग इस ऐतिहासिक रैली में शामिल हुए। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में भारी भीड़ जमा हुई, जहां प्रदर्शनकारियों ने हाथों में नारों और बैनरों के माध्यम से अपनी नाराजगी जताई। इसके अलावा बोस्टन, अटलांटा, शिकागो, वॉशिंगटन डीसी और लॉस एंजेलेस समेत कई शहरों में रैलियों और मार्चों का आयोजन हुआ।विशेष रूप से वॉशिंगटन और लॉस एंजेलेस में प्रदर्शनकारी संसद और न्यायपालिका के निकट मार्च करते हुए अपने विरोध का स्वर जगजाहिर किया। इसके अलावा रिपब्लिकन नेतृत्व वाले राज्यों में भी सार्वजनिक स्थानों पर धरने आयोजित किए गए।
प्रदर्शन के कारण और आरोप
“नो किंग्स” प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि ट्रंप का प्रशासन अमेरिका को तेजी से तानाशाही की दिशा में ले जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने विशेष रूप से अमेरिकी शहरों में संघीय बलों और नेशनल गार्ड सैनिकों की तैनाती का विरोध किया, जिसे उन्होंने संघीय शक्ति का अतिक्रमण और सैन्यीकरण बताया।इस वर्ष यह ट्रंप प्रशासन के खिलाफ तीसरा बड़ा विरोध प्रदर्शन है। इसे ऐसे समय में आयोजित किया गया जब अमेरिका का कई संघीय कार्य ठप हो गया है और शटडाउन का सामना कर रहा है। इस दौरान कई सरकारी सेवाएं और कार्यक्रम बंद पड़े हैं।
ट्रंप और रिपब्लिकन पार्टी की प्रतिक्रिया
रिपब्लिकन पार्टी ने इन रैलियों को “हेट अमेरिका” रैलियों करार दिया। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलिन लेविट ने कहा कि इन रैलियों के पीछे डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन है और इसमें मुख्य रूप से कट्टरपंथी वामपंथी समूह शामिल हैं। लेविट ने इसे “हिंसक और अवैध तत्वों” द्वारा संचालित बताया, जिनमें वे अवैध प्रवासी, आतंकवादी और अपराधी शामिल हैं।हालांकि, आयोजकों ने कहा कि रैलियां शांतिपूर्ण और गैर-हिंसक रही हैं। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने और व्यक्तिगत सुरक्षा का ध्यान रखने के निर्देश दिए। इसके अलावा आयोजकों ने फिलिस्तीनी झंडे, यूक्रेन के समर्थन जैसे प्रतीकों को लेकर आने और कोई हथियार लाने से मना किया।
ट्रंप का AI वीडियो और प्रतिक्रिया
विरोध प्रदर्शन के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म “ट्रूथ सोशल” पर एक AI द्वारा निर्मित वीडियो शेयर किया। इस वीडियो में ट्रंप ताज पहनकर “किंग ट्रंप” लड़ाकू विमान में बैठते दिखाए गए हैं और प्रदर्शनकारियों पर बम बरसाते हैं। यह वीडियो ट्रंप के विरोधियों और डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं को निशाने पर दिखाता है।ट्रंप ने एक इंटरव्यू में कहा, “वे मुझे राजा कह रहे हैं, लेकिन मैं राजा नहीं हूं। राष्ट्रपति पद एक कठिन काम है, जिसे डीप स्टेट, डेमोक्रेट्स की नौकरशाही और कट्टरपंथी विपक्ष के नियंत्रण में करना पड़ता है।” उन्होंने यह भी कहा कि उनके कार्य निर्णय हमेशा देश के हित में होते हैं और विपक्ष के हितों के खिलाफ रहेंगे।इस AI वीडियो में ट्रंप के कट्टर आलोचक हैरी सिसन और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी दिखाई दे रहे हैं। वीडियो में नैंसी पेलोसी और अन्य डेमोक्रेटिक नेता ट्रंप के सामने घुटने टेके हुए दिखाई देते हैं।
“नो किंग्स” विरोध प्रदर्शन ने स्पष्ट कर दिया कि अमेरिका में बड़ी संख्या में लोग राष्ट्रपति ट्रंप के अधिनायकवादी रवैये और प्रशासन की नीतियों के खिलाफ गहरी नाराजगी महसूस कर रहे हैं। ट्रंप की सोशल मीडिया रणनीतियों और AI वीडियो के माध्यम से प्रतिक्रिया ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है।