पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच दोहा में शांति वार्ता के दौरान सीमा पर तनाव कम करने और त त्काल युद्धविराम लागू करने पर सहमति बनती दिखाई दी है। कतर और तुर्की की मध्यस्थता में हुई इस बैठक के बाद दोनों पक्षों ने युद्धविराम की स्थिरता सुनिश्चित करने और भविष्य में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए अनुवर्ती बैठकें आयोजित करने पर सहमति जताई।कतर के विदेश मंत्रालय ने रविवार सुबह आधिकारिक ट्विटर (पूर्व में एक्स) अकाउंट पर घोषणा करते हुए बताया कि “इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच दोहा में कतर और तुर्की की मध्यस्थता में वार्ता का एक दौर आयोजित किया गया। वार्ता के दौरान दोनों पक्ष तत्काल युद्धविराम और स्थायी शांति तथा स्थिरता को मजबूत करने के लिए तंत्र स्थापित करने पर सहमत हुए।”
दोहा में हुई बैठक
दोहा में पाकिस्तान और तालिबान के रक्षा मंत्रियों की मुलाकात ताजा संघर्ष के बाद दोनों देशों के प्रतिनिधियों की पहली आमने-सामने की बैठक थी। बैठक शनिवार देर शाम बंद कमरे में साढ़े चार घंटे से अधिक समय तक चली, जिसमें दोनों पड़ोसियों ने बढ़ते सीमा तनाव को कम करने के उद्देश्य से व्यापक चर्चा की।राजनयिक सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि प्रतिनिधिमंडल अभी भी कतर में मौजूद रहेगा और रविवार सुबह वार्ता के दूसरे दौर के लिए फिर से चर्चा शुरू करेगा। इसके अलावा, एक सप्ताह के भीतर एक और दौर की वार्ता होने की उम्मीद जताई जा रही है।
अफगानिस्तान की तरफ से तालिबान रक्षा मंत्री मुल्का मोहम्मद याकूब और खुफिया प्रमुख अब्दुल हक वासिक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, जबकि पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ और ISI चीफ लेफ्टिनेंट जनरल असीम मलिक कर रहे हैं।
युद्धविराम की चुनौती
हालांकि दोनों पक्ष युद्धविराम पर सहमत हुए हैं, लेकिन इसकी सफलता को लेकर कुछ शंकाएँ भी बनी हुई हैं। इससे पहले पाकिस्तान ने सीमा पर संघर्षविराम के बावजूद शुक्रवार देर शाम अफगानिस्तान के पक्तिका में हवाई हमले किए थे। अफगान तालिबान ने इस हमले की निंदा करते हुए इसे युद्धविराम का उल्लंघन बताया।कतर के विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष आने वाले दिनों में युद्धविराम की स्थिरता सुनिश्चित करने और विश्वसनीय तरीके से इसके कार्यान्वयन की पुष्टि करने के लिए अनुवर्ती बैठकें आयोजित करेंगे।
सीमा पर हिंसा
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच यह हिंसा 2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से दोनों देशों के बीच सबसे गंभीर स्थिति बताई जा रही है। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को रोकने और पाकिस्तान-अफगान सीमा पर शांति बहाल करने की मांग की थी। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि हाल की हिंसा तब भड़की जब इस्लामाबाद ने काबुल से आतंकवादियों पर अंकुश लगाने की मांग की।तालिबान ने पाकिस्तान पर अफगानिस्तान को अस्थिर करने और आतंकवादी समूहों का समर्थन करने का आरोप लगाया, जबकि पाकिस्तान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये विद्रोही लंबे समय से पाकिस्तानी सरकार को उखाड़ फेंकने और सख्त इस्लामी शासन लागू करने के लिए सक्रिय हैं।
आगे की उम्मीदें
दोनों पक्षों ने यह भी स्पष्ट किया कि वे युद्धविराम की स्थिति बनाए रखने और टिकाऊ शांति स्थापित करने के लिए निरंतर संवाद जारी रखेंगे। यह वार्ता पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते सीमा तनाव को कम करने और क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।