इजराइल की राजनीति में रविवार का दिन ऐतिहासिक बन गया।प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने खिलाफ चल रहे गंभीर भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और भरोसा तोड़ने के मामलों में राष्ट्रपति आइजैक हर्ज़ोग को 111 पन्नों का औपचारिक क्षमादान (Pardon) अनुरोध सौंप दिया।यह कदम इसलिए भी अभूतपूर्व है क्योंकि इजराइल के इतिहास में पहली बार किसी मौजूदा प्रधानमंत्री ने दोषसिद्धि से पहले माफी की मांग की है।नेतन्याहू के खिलाफ 2019 में तीन उच्च-प्रोफ़ाइल भ्रष्टाचार मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें उन पर धनी सहयोगियों से महंगे उपहार लेने और बदले में राजनीतिक लाभ देने के आरोप शामिल हैं।

आरोपों में लग्जरी सिगार और महंगी शैम्पेन,कीमती ज्वेलरी औऱ 700,000 शेकेल (करीब ₹1.90 करोड़) के गिफ्ट मीडिया हाउस को राजनीतिक लाभ देने के बदले कवरेज में फायदा शामिल है।टेलीकॉम कंपनी के अधिकारी और हॉलीवुड प्रोड्यूसर से लाभ लेने का आरोप भी इसमें शामिल है।नेतन्याहू हमेशा इन आरोपों को “राजनीतिक साजिश”, मीडिया-न्यायपालिका गठजोड़ और उन्हें सत्ता से हटाने का प्रयास बताते रहे हैं। मई 2020 में मुकदमा औपचारिक रूप से शुरू हुआ था, लेकिन पिछले वर्षों में कई बार देरी हुई।नेतन्याहू की टीम ने गवाहियों को टालने के लिए बार-बार सुरक्षा संकट,हामास-हिज्बुल्लाह तनाव,कूटनीतिक व्यस्तताएँ का हवाला दिया।इस धीमी प्रक्रिया से इजराइली जनता खासकर गाजा में बंधक बनाए गए नागरिकों के परिवार बेहद नाराज़ हैं। कुछ परिवारों का आरोप है कि “प्रधानमंत्री राजनीतिक लाभ के लिए युद्ध लंबा खींच रहे हैं।”
नेतन्याहू का बयान: “मुकदमा देश को तोड़ रहा है”
वीडियो बयान में प्रधानमंत्री ने कहा कियह मुकदमा राष्ट्रीय बोझ बन चुका है।इससे देश में विभाजन और तनाव बढ़ रहा है।मेरी हफ्ते में तीन बार अदालत में उपस्थिति नेतृत्व को मुश्किल बनाती है।मुकदमे का अंत राष्ट्रीय सुलह और स्थिरता का रास्ता खोल सकता है।
ट्रम्प का दबाव
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी मामले पर खुलकर सामने आ गए हैं।ट्रम्प ने कहा कि राष्ट्रपति हर्ज़ोग को पत्र लिखकर नेतन्याहू को माफी देने की अपील की है।ट्रंप ने सार्वजनिक और निजी तौर पर समर्थन जताया।यह कूटनीतिक दबाव इजराइल की राजनीति में तूफान की तरह देखा जा रहा है।
ICC का वारंट
नेतन्याहू पहले से घरेलू कानूनी चुनौतियों का सामना कर रहे थे, लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर भी संकट गहरा है।अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने नवंबर 2024 में बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट पर गाजा में युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध के आरोपों में गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।इससे उनकी माफी की मांग और भी जटिल हो जाती है।

इजराइल का राष्ट्रपति पद सामान्य तौर पर ceremonial है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में वे किसी अपराधी को माफी देने का अधिकार रखते हैं।परंतु, किसी व्यक्ति को सज़ा से पहले माफी देना एक बड़ा संवैधानिक प्रश्न है, और कई विशेषज्ञों ने इसे “क़ानूनी मिसाल” और “लोकतांत्रिक जोखिम” बताया है।
प्रधानमंत्री नेतन्याहू के माफीनामा दस्तावेज़ पहले न्याय मंत्रालय को भेजे जाएंगे।वहां से राय बनकर राष्ट्रपति कार्यालय के कानूनी सलाहकार के पास जाएगी फिर उसके बाद राष्ट्रपति हर्ज़ोग अंतिम निर्णय लेंगे।राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि प्रक्रिया लंबी हो सकती है।राष्ट्रपति तात्कालिक माफी देने के पक्ष में नहीं होंगे।ICC वारंट भी निर्णय को मुश्किल बना सकता है।
नेतन्याहू का यह कदम इजराइल की राजनीति में संभवतः सबसे बड़ा संवैधानिक, कानूनी और राजनीतिक भूचाल है।देश इस समय सुरक्षा संकटों में घिरा हुआ है,गाजा युद्ध जारी है, ICC का दबाव भी बना हुआ है।ऐसे समय में प्रधानमंत्री का माफी मांगना न सिर्फ उनकी राजनीतिक स्थिति बल्कि इजराइल की लोकतांत्रिक संरचना को भी चुनौती देता है।आने वाले हफ्तों में राष्ट्रपति का निर्णय देश के भविष्य की दिशा तय करेगा।










