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आज से लागू हुआ चीन का K-Visa, विदेशी टैलेंट को मिलेगा बड़ा मौका , 40-45 साल तक के युवाओं को मिलेगा K-Visa का फायदा, रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा

चीन अमेरिका में H-1B वीजा फीस बढ़ने के बाद विदेशी तकनीकी प्रतिभा को आकर्षित करने के लिए नई के वीजा नीति लेकर आया है। इस नीति के तहत विज्ञान तकनीक इंजीनियरिंग और गणित के युवा ग्रेजुएट्स को लक्षित किया जाएगा। चीन विदेशी निवेश और यात्रा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रहा है जिससे आर्थिक विकास को गति मिल सके।चीन का नया के-वीजा है जो आज से लागू हो रहा है।1 अक्तूबर की शुरुआत में लागू हो रहा चीन का नया K-Visa नियम ने विदेशी टैलेंट के लिए रास्ता खोल दिया है।चीन ने विदेशी वैज्ञानिकों और टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स का स्वागत कर रहा है।इसे चीन की नई महत्वाकांक्षी रणनीति का हिस्सा भी है।


क्या है चीन का K-Visa?

चीन ने अपनी नई नीति के तहत विदेशी युवाओं, खासकर विज्ञा न और तकनीक से जुड़े पेशेवरों के लिए K-Visa लागू किया है। यह वीजा उन्हें चीन में काम करने, रिसर्च करने और यहां तक कि स्टार्टअप शुरू करने की भी छूट देगा।   K-Visa के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रतिभाशाली युवाओं के लिए चीन में आना और काम करना आसान हो जाएगा। उत्कृष्ट युवा वैज्ञानिक परियोजना के लिए अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष और प्रतिभाशाली युवा वैज्ञानिक कार्यक्रम के लिए अधिकतम सीमा 45 वर्ष तय की गई है।
पहले चीन में 2013 से 12 तरह के वीजा मान्य थे, जिनमें जेड (काम के लिए), एक्स (पढ़ाई के लिए), एम (बिजनेस) और क्यू (परिवार से मिलने) शामिल थे। लेकिन K-Visa को इनमें एक नए अनुच्छेद के रूप में जोड़ा गया है।

K-Visa  आवेदन के लिए योग्यता
K-Visa के लिए युवाओ के पास   किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या अनुसंधान संस्थान से न्यूनतम स्नातक की डिग्री होनी चाहिए। साथ ही उन्हें STEM से जुड़े किसी संस्थान या शोध केंद्र में काम करने का अनुभव होना चाहिए।इससे यह पता चलता कि चीन ने इस वीजा को सीधे-सीधे उच्च कौशल वाले विदेशी युवाओं को आकर्षित करने के लिए बनाया है।

पॉलिटिकल स्तर पर क्या है तस्वीर 

चीन और भारत में सीमा-विवाद तो पहले से था, लेकिन साल 2020 से ये और गहरा गया था। लेकिन अब अमेरिकी मार के बीच दोनों देश करीब आते दिख रहे हैं. दरअसल, ट्रंप ने दोनों ही देशों पर भारी टैरिफ लगा दिया। इसके बाद से कयास लग रहा है कि दोनों आपस में मिलकर बाजार और खपत की समस्या सुलझा लेंगे ।बीते दिनों दोनों देशों के नेताओं की मुलाकात भी हुई। इसके बाद ट्रंप की कमेंट भी आई थी कि चीन की वजह से भारत और रूस उससे दूर जा रहे हैं।

 

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