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500 रुपये और जिहाद की ट्रेनिंग: जैश‑ए‑मोहम्मद महिलाओं को जाल में फंसा रहा

पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने अपनी आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए महिलाओं की भर्ती और प्रशिक्षण की नई पहल शुरू कर दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, संगठन ने हाल ही में अपनी पहली महिला ब्रिगेड जमात-उल-मोमिनात की स्थापना की घोषणा की थी, और अब तुफात अल-मोमिनात नाम से एक ऑनलाइन ट्रेनिंग कोर्स शुरू किया गया है।

500 रुपये चंदा और ऑनलाइन फॉर्म

इस कोर्स में शामिल होने वाली हर महिला से 500 पाकिस्तानी रुपये का चंदा लिया जा रहा है। इसके साथ ही महिलाओं को एक ऑनलाइन सूचना फॉर्म भी भरवाया जा रहा है। कोर्स का नेतृत्व मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर कर रही हैं। सादिया के पति यूसुफ अजहर का मई में भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर में निधन हो गया था, जब मरकज सुभानअल्लाह पर हमला किया गया था।

महिला भर्ती के पीछे का उद्देश्य

जैश-ए-मोहम्मद की महिला ब्रिगेड का गठन केवल महिलाओं को शामिल करने के लिए नहीं है। इसका उद्देश्य धन जुटाना, महिलाओं को जिहाद में शामिल करना और भविष्य में आत्मघाती हमलावरों के रूप में उनका इस्तेमाल करना बताया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, मसूद अजहर अपने भाषणों और ऑनलाइन अभियान के जरिए चंदा इकट्ठा करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। 27 सितंबर को बहावलपुर के मरकज उस्मान ओ अली में उन्होंने धन की अपील की थी।

जैश-ए-मोहम्मद कमांडरों की पत्नियों, बहनों और गरीब परिवारों की महिलाओं को इस्लाम के नाम पर बरगलाकर संगठन में शामिल कर रहा है। इससे पहले, ISIS, बोको हराम, हमास और लिट्टे जैसे आतंकी संगठनों ने महिलाओं को आत्मघाती हमलावर के रूप में इस्तेमाल किया था। अब जैश का यह नया कदम इसी दिशा में एक संकेत माना जा रहा है।संगठन ने पाकिस्तान भर में 313 नए मरकज बनाने के लिए 3.91 अरब रुपये इकट्ठा करने हेतु ईज़ीपैसा के जरिए ऑनलाइन धन उगाही अभियान भी शुरू किया है। आठ अक्टूबर को महिला ब्रिगेड ‘जमात-उल-मोमिनात’ की घोषणा की गई थी और 19 अक्टूबर को रावलकोट में महिलाओं को शामिल करने के लिए दुख्तरान-ए-इस्लाम’ कार्यक्रम आयोजित किया गया।जैश-ए-मोहम्मद का महिला आतंकियों का पुराना संगठन बन्नत-ए-आयशा’ था, जिसकी गतिविधियां भारतीय सुरक्षा बल की सजगता और सतर्कता के कारण लंबे समय से बंद थीं। अब जैश फिर से महिलाओं को जिहाद की आग में झौंक रहा है, जिससे भारत की सुरक्षा चुनौतियों में इजाफा हो सकता है।यह कदम दिखाता है कि जैश-ए-मोहम्मद महिला आतंकियों को सक्रिय रूप से तैयार करने और उन्हें आतंकी अभियानों में शामिल करने की योजना बना रहा है। पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद का शिकार होने का दावा करते हुए भी, वह अपने ही देश में आतंकवादी संगठनों का समर्थन कर रहा है।

 

 

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