गाज़ा पट्टी में जारी इजरायल-हमास युद्ध के बीच एक बड़ा खुलासा हुआ है। इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने दावा किया है कि हमास ने गाज़ा के अस्पतालों को मानव ढाल (Human Shield) की तरह इस्तेमाल किया और इनके नीचे से सुरंगों का जाल बिछाया। हाल ही में इजरायली सेना को दो लंबी-लंबी सुरंगें मिली हैं, जिनसे हमास की रणनीति का पर्दाफाश हुआ है।
अस्पतालों के नीचे छिपा सुरंग नेटवर्क
इजरायली सेना के मुताबिक, हमास ने गाज़ा सिटी के कई प्रमुख अस्पतालों के नीचे से अंडरग्राउंड टनल सिस्टम बनाया था। ये सुरंगें इतनी बड़ी और लंबी थीं कि इनके अंदर से हथियारों की सप्लाई, लड़ाकों की आवाजाही और कमांड सेंटर्स का संचालन किया जाता था।सुरंगें आधुनिक तकनीक से बनाई गई थीं।इनके जरिए हथियार और विस्फोटक सामग्री छिपाई जाती थी सुरंगों को आम नागरिकों और मरीजों से भरे अस्पतालों से जोड़कर रखा गया ताकि हमले के दौरान हमास खुद को सुरक्षित रख सके।
IDF के ऑपरेशन में बड़ा खुलासा
इजरायली सेना का कहना है कि हाल ही में हुए एक ऑपरेशन में उन्हें गाज़ा के दो बड़े अस्पतालों के नीचे से सैकड़ों मीटर लंबी सुरंगें मिलीं।इनमें से एक सुरंग सीधे अस्पताल के बेसमेंट से जुड़ी थी।दूसरी सुरंग का रास्ता बाहर निकलकर घनी आबादी वाले इलाके तक जाता था।कई जगहों पर सुरंगों में बिजली, इंटरनेट और कम्युनिकेशन सिस्टम तक बिछाए गए थे।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद
हमास की इस रणनीति को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस छिड़ गई है।इजरायल का दावा है कि हमास नागरिक ढाल का इस्तेमाल कर युद्ध अपराध कर रहा है।दूसरी तरफ, हमास और उसके समर्थक इन आरोपों को नकारते आए हैं।अस्पतालों पर इजरायली हमलों को लेकर संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने चिंता जताई है।
क्यों उठे सवाल?
अस्पताल अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत सुरक्षित क्षेत्र माने जाते हैं। अगर किसी भी पक्ष द्वारा इन्हें युद्ध के अड्डे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है तो यह अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन है।
हमास द्वारा अस्पतालों का दुरुपयोग सामने आने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि गाज़ा में निर्दोष मरीज और डॉक्टर किस हद तक खतरे में रहे।इजरायल इस आधार पर अपने हमलों को जायज ठहराता है, जबकि मानवाधिकार संगठन इसे नागरिकों के लिए खतरा बताते हैं।
गाज़ा में मिली इन सुरंगों ने साफ कर दिया है कि हमास ने अस्पतालों को सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं के लिए नहीं, बल्कि सैन्य ठिकाने की तरह इस्तेमाल किया। यह खुलासा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने गंभीर नैतिक और कानूनी सवाल खड़े करता है—क्या युद्ध में अस्पतालों और नागरिक ढांचों को बचाया जा सकता है, या फिर वे हमेशा बड़े संघर्षों की कीमत चुकाते रहेंगे?