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लाहौर-इस्लामाबाद में हिंसक झड़प: गोलीबारी, लाठीचार्ज — तनाव चरम पर

पाकिस्तान के पंजाब और राजधानी क्षेत्र में तेज़ी से उठी राजनीतिक गर्मी हिंसा में बदल गई है। लाहौर और इसके आसपास के इलाकों में प्रोटेस्टर्स और पुलिस बलों के बीच हुई झड़पों ने स्थिति को बिगाड़ दिया।दैनिक गतिविधियाँ बाधित हो गई हैं, शुक्रवार से शुरू हुआ विरोध मार्च अब हिंसा का रूप ले चुका है

घटना का क्रम और स्थिति

इस विवश स्थिति की शुरुआत Tehreek-e-Labbaik Pakistan (TLP) नामक धार्मिक-राजनीतिक संगठन द्वारा ग़ज़ा और फिलिस्तीन से समर्थन के लिए आयोजित मार्च से हुई। मार्च को इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास के सामने पहुंचने की योजना थी, जिसके चलते पुलिस ने मार्ग अवरुद्ध करने की कोशिश की। विरोधकारियों ने पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स और कंटेनरों को हटाने की कोशिश की, जिससे झड़पें शुरू हो गईं। पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का उपयोग किया। विरोधकारियों की ओर से पत्थरबाज़ी और आगज़नी जैसे उपाय भी किए गए। झड़प के बीच सेफायरिंग भी हुई। पुलिस अधिकारियों के अनुसार कुछ प्रदर्शनकारियों ने भी गोली चलाई

हताहतों व घायल संख्या

पुलिस के अनुसार, एक पुलिस अधिकारी की मौत हुई है और दर्जन-भर अन्य अधिकारी घायल हुए हैंTLP का दावा है कि कई समर्थक मारे गए या घायल हुए हैं। लेकिन सरकारी पक्ष अभी इन दावों की पुष्टि नहीं कर रहा। पुलिस का बयान: घटना में तीन TLP सदस्यों की हत्या हुई और 48 सुरक्षा अधिकारी घायल हुए, जिनमें से 17 को गोली लगी। एक आम नागरिको भी मौत हुई हैअन्य रिपोर्टों में घायल समर्थकों और नागरिकों की संख्या अधिक बताई जा रही है, परंतु वे आंकड़े अभी स्पष्ट नहीं हैं मुख्य सड़कों और मोटरवे मार्गों को बंद किया गया। इस्लामाबाद-लाहौर मार्ग, फैज़ाबाद इंटरचेंज आदि जगहें प्रभावित हुईं। स्कूल व कॉलेजों को अंडर अलर्ट रखा गया या समय से पहले बंद किया गया। इंटरनेट सेवाएं, विशेषकर मोबाइल डाटा, कई स्थानों पर सीमित कर दी गईं।TLP और सरकार दोनों एक-दूसरे पर ज़िम्मेदारी डाल रहे हैं। TLP का कहना है कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, लेकिन पुलिस ने भारी बल प्रयोग किया।सरकार कह रही है कि प्रदर्शनकारियों ने अव्यवस्था मचाई और कानून-व्यवस्था भंग की।अभी तक कोई स्वतंत्र जांच नहीं हुई है, लेकिन स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए जांच की मांग बढ़ रही है।लाहौर और इस्लामाबाद में हुई हिंसा ने राजनीतिक अस्थिरता और अल्पविचार भरी कार्रवाई की चुनौतियों को उजागर किया है।
40 मौतों का आंकड़ा मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से फैल रहा है, लेकिन विश्वसनीय स्रोतों ने अब तक ऐसा कोई पुष्ट आंकड़ा नहीं दिया है।
प्राप्त स्थिर जानकारी के आधार पर यह कहा जा सकता है कि पत्थरबाज़ी, गोलीबारी, लाठीचार्ज और आक्रोश ने इस स्थिति को भयावह बना दिया है।

 

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