पड़ोसी देश बंगलादेश जहां की यूनुस सरकार ने शेख हसीना से वोट डालने का अधिकार ही छिन लिया है। वही शेख हसीना जो एक समय पर बंगलादेश की प्रधानमंत्री हुआ करती थी, अब उसी देश में शेख हसीना से उनके अधिकारों को छिना जा रहा है।
पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में अगले साल फरवरी में आम चुनाव होंगे। बांग्लादेश में बनी अंतरिम सरकार के बाद होने वाले इस आम चुनाव की तैयारियां शुरू की जा चुकी हैं। इस बीच बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने एक अजीबोगरीब फरमान सुनाया है। दरअसल, बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने कहा कि देश की पूर्व PM शेख हसीना के राष्ट्रीय पहचान पत्र यानी NID को लॉक कर दिया गया है। इस कारण अब वह अगले साल फरवरी में होने वाले आम चुनाव में वोट नहीं दे सकेंगी। हसीना के साथ उनके परिवार और करीबियों के भी पहचान पत्र को लॉक किया गया है।
बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने सचिव अख्तर अहमद ने अपने एक बयान में कहा कि पूर्व PM शेख हसीना का NID लॉक कर दिया गया है। इसके आगे उन्होंने कहा कि NID लॉक हो जाने की स्थिति में वह विदेश में बैठकर मतदान नहीं कर सकती हैं। खबरों की अगर माने तो बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल में है। लंदन के ट्राफलगर स्क्वायर पर हजारों ब्रिटिश-बांग्लादेशी और प्रवासी लोगों ने यूनुस सरकार के खिलाफ ज़बरदस्त प्रदर्शन किया। ‘जय बांग्ला’ के नारों और लोकतांत्रिक अधिकारों की मांग ने माहौल गरमा दिया। इस प्रदर्शन ने अंतरिम सरकार के मुखिया और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को झकझोर दिया है। राजनीतिक हलकों का मानना है कि यूनुस इससे भड़क उठे हैं और अब चुनाव आयोग को आगे करके अपने विरोधियों पर चोट कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का राष्ट्रीय पहचान पत्र (NID) ‘लॉक’ कर दिया।
बांग्लादेश में राष्ट्रीय पहचान पत्र यानी(NID), एक ऐसा पहचान पत्र है, जिससे विदेश में बैठे लोग भी अपने मताधिकार का उपयोग कर पाते हैं।
चुनाव आयोग के सचिव ने इस संबंध में बताया कि न्याय से बचने के लिए या किसी भी अन्य कारण से जो लोग विदेश भाग गए हैं, वे भी अपने मताधिकार का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन अगर NID लॉक कर दिए जाने के बाद वह वोट नहीं कर सकते हैं। वहीं, आयोग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि केवल शेख हसीना ही नहीं, बल्कि उनके परिवार के सदस्यों और कुछ करीबियों के भी पहचान पत्र को लॉक किया गया है। उन्होंने बताया कि हसीना की छोटी बहन शेख रेहाना, बेटे सजीब जॉय और बेटी वाजेद पुतुल के भी पहचान पत्र को लॉक कर दिया गया है। गौरतलब है कि 5 अगस्त 2024 को छात्र आंदोलन की लपटों ने हसीना की अवामी लीग सरकार को गिरा दिया था. हिंसक हालात के बीच उन्हें भारत भागना पड़ा। इसके बाद यूनुस ने सत्ता संभाली और अवामी लीग की गतिविधियों को बंद करा दिया। अब हसीना पर इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल में अनुपस्थिति में मुकदमा चल रहा है, जहां अभियोजन पक्ष उनके लिए मौत की सजा तक की मांग कर चुका है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यूनुस सरकार विरोध को दबाने के लिए चुनाव आयोग का इस्तेमाल कर रही है। शेख हसीना और उनके परिवार को वोट डालने से रोकना इसी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।