50 प्रतिशत टैरिफ विवाद के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीयों को एक बार फिर बड़ा झटका दिया है। ट्रंप सरकार ने H-IB वीजा के नियम बदल दिए हैं और एग्जीक्यूटिव ऑर्डर साइन करके नए नियमों को लागू भी कर दिया है। नए नियमों के तहत अब H-IB वीजा के लिए नए आवेदनकर्ताओं को एक लाख डॉलर (88 लाख रुपये) फीस ज्यादा देनी होगी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को व्हाइट हाउस में इस ऑर्डर पर साइन किए। राष्ट्रपति ट्रंप के इस नए फैसले से भारतीयों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा, क्योंकि करीब 70 प्रतिशत H-IB वीजा धारक भारतीय हैं। अब तक H-1B वीजा की एप्लिकेशन फीस 1 से 6 लाख रुपए तक थी।
इसके अलावा ‘ट्रम्प गोल्ड कार्ड’, ‘ट्रम्प प्लेटिनम कार्ड’ और ‘कॉर्पोरेट गोल्ड कार्ड’ जैसी सुविधाएं भी शुरू की गई हैं। ट्रम्प गोल्ड कार्ड व्यक्ति को अमेरिका में अनलिमिटेड रेसीडेंसी (हमेशा रहने) का अधिकार देगा। अनलिमिटेड रेसीडेंसी में नागरिकों को सिर्फ पासपोर्ट और वोट देने का अधिकार नहीं मिलता, बाकी सारी सुविधाएं एक अमेरिकी नागरिक के जैसी मिलती हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रम्प के इन बदलावों का विदेशी नागरिकों पर बहुत ज्यादा असर पड़ सकता है। अब कंपनियां सिर्फ उन्हीं कर्मचारियों को अमेरिका बुला सकेंगी, जिनके पास सबसे अच्छा स्किल होगा। इसका सीधा असर भारतीय IT प्रोफेशनल्स पर पड़ेगा। ये बदलाव जल्द लागू किए जाएंगे।
वहीं, वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने बताया कि यह गोल्ड कार्ड अब तक चल रहे EB-1 और EB-2 वीजा की जगह लेगा। ये कार्ड केवल उन्हीं लोगों को मिलेगा, जो अमेरिका के लिए ‘फायदेमंद’ माने जाएंगे। शुरुआत में सरकार लगभग 80,000 गोल्ड कार्ड जारी करने की योजना बना रही है। लुटनिक ने कहा कि इस प्रोग्राम से अमेरिका को 100 अरब डॉलर की कमाई होगी।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने क्यों बढ़ाई है फीस?
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने बताया कि H-1B वीजा की फीस बढ़ाने का आदेश 21 सितंबर 2025 से लागू होगा। राष्ट्रपति ट्रंप वाइड रेंज इमिग्रेशन क्रैकडाउन स्टार्ट किया है, जिसके तहत इमिग्रेशन को सीमित का फैसला किया गया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने H-1B वीजा की फीस बढ़ाने का फैसला इसलिए किया है, ताकि अमेरिका में प्रवासियों की संख्या कम हो। वहीं वीजा की फीस बढ़ाने का कदम कदम H-1B दुरुपयोग रोकने और अमेरिकी नौकरियां अमेरिकियों के लिए सुरक्षित करने के लिए उठाया गया है।
ट्रंप के फैसले से कौन-कौन प्रभावित होगा?
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के H-1B वीजा पर अतिरिक्त फीस लगाने के फैसले से सबसे ज्यादा अमेरिका की टेक इंडस्ट्री प्रभावित होगी, क्योंकि अमेजोन, माइक्रोसॉफ्टब, एप्पल और गूगल जैसी कंपनियां H-1B वीजा धारकों पर सबसे ज्यादा निर्भर रही हैं। ऐसे में अब इन कंपनियों को H-1B वीजा धारकों पर पैसा खर्च करने की बजाय अमेरिका में ही पेशेवर तलाशने होंगे। हालांकि ट्रंप के फैसले का बड़ी टेक कंपनियों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन छोटी टेक फर्म और स्टार्टअप के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी, क्योंकि उनका खर्च बढ़ जाएगा।
फैसले से भारतीयों पर क्या असर पड़ेगा?
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के H-1B वीजा पर अतिरिक्त फीस लगाने के फैसले का सबसे ज्यादा असर भारतीयों पर पड़ेगा, क्योंकि कुल H-1B वीजा धारकों में से लगभग 70% भारतीय हैं। ऐसे में फीस बढ़ने से भारत के मध्यम वर्गीय लोग वीजा की इतनी फीस वहन नहीं कर पाएंगे।
भारतीय छात्रों को अब ग्रीन कार्ड या कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में नौकरी के विकल्प तलाशने पड़ सकते हैं। भारतीय IT कंपनियां TCS, इन्फोसिस हजारों H-1B वीजा स्पॉन्सर करती हैं, लेकिन फीस बढ़ने से उनकी लागत बढ़ेगी, जिसे वे क्लाइंट्स पर खर्च डाल सकती हैं या कर्मचारियों की संख्या घटा सकती हैं। वीजा फीस बढ़ने से कंपनियां भारत में ही काम करा सकती हैं, जिससे अमेरिका में नौकरियां कम हो सकती हैं।