नवरात्र के आठवें दिन देवी भगवती के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है। शास्त्रों में उनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। मां महागौरी सौभाग्य और मानसिक शुद्धता की देवी मानी जाती हैं।
मां का वाहन वृषभ है। मां का दाहिना हाथ अभयमुद्रा में है और नीचे वाले हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशुल है। महागौरी के बाएं तरफ ऊपर वाले हाथ में शिव का प्रतीक डमरू है। डमरू धारण करने के कारण इन्हें शिवा भी कहा जाता है। मां के नीचे वाला हाथ अपने भक्तों को अभय देता हुआ वरमुद्रा में है। मां महागौरी की पूजा से गृहस्थ जीवन में खुशहाली और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
देवीभागवत पुराण के अनुसार, देवी पार्वती का जन्म राजा हिमालय के घर हुआ था। देवी पार्वती को मात्र 8 वर्ष की उम्र में अपने पूर्वजन्म की घटनाओं का आभास हो गया है और तब से ही उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या शुरू कर दी थी। अपनी तपस्या के दौरान माता केवल कंदमूल फल और पत्तों का आहार करती थीं। बाद में माता ने केवल वायु पीकर तप करना आरंभ कर दिया। तपस्या से देवी पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ था इसलिए उनका नाम महागौरी पड़ा।मां की कृपा से जीवन में आ रही विपदाओं से छुटकारा और मानसिक शुद्धता प्राप्त होती है। मां की पूजा से बिगड़े काम भी बनने लगते हैं और सभी बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
आठवें दिन महागौरी की पूजा देवी के मूल भाव को दर्शाता है। देवीभागवत पुराण के अनुसार, मां के नौ रूप और 10 महाविद्याएं सभी आदिशक्ति के अंश और स्वरूप हैं लेकिन भगवान शिव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में महागौरी सदैव विराजमान रहती हैं। इनकी शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी है। नवरात्र की अष्टमी तिथि विशेष महत्व रखती है क्योंकि भक्त इस दिन कन्या पूजन करते हैं और अपने 8 दिन के उपवास का पारण करते हैं। जो भक्त किन्हीं कारणों से नौ दिन तक उपवास नहीं रख पाते हैं, उनके लिए नवरात्र में प्रतिपदा और अष्टमी तिथि को व्रत रखने का विधान है। इससे नौ दिन व्रत रखने के समान फल मिलता है।
महागौरी पूजा मंत्र
बीज मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ महागौर्यै नमः
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
ध्यान मंत्र:
श्वेत वृष पर आरूढ़ा श्वेतांबरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
स्तोत्र मंत्र (दुर्गा सप्तशती से)
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वरदाभयदात्रीं च महागौरीं नमोऽस्तु ते॥