तृतीया तिथि को लेकर असमंजस ,दो दिन होगी माँ चंद्रघंटा की पूजा ,साहस व शौर्य की देवी हैं माँ चंद्रघंटा

तृतीय नवरात्रि मां चंद्रघंटा की पूजा इस बार दो दिन की जाएगी। श्रद्धालुओं में इस तृतीय नवरात्रि को लेकर असमंजस है कि इस बार मां चंद्रघंटा की पूजा दो दिन क्यों की जा रही है?

मां चंद्रघंटा जिनकी पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। देवी मां का यह स्वरूप शांति, पराक्रम और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है। लेकिन इस वर्ष एक विशेष स्थिति बनी है कि पंचांग के अनुसार तृतीया तिथि दो दिन तक पड़ रही है। हिन्दू पंचांग में तिथि का निर्धारण चंद्रमा और सूर्य के आपसी कोण (Elongation) से होता है। हर तिथि लगभग 23 घंटे 37 मिनट की होती है, लेकिन यह हमेशा सूर्योदय से सूर्योदय तक नहीं चलती। कई बार तिथि का आरंभ एक दिन की मध्यरात्रि में होता है और उसका अंत अगले दिन के दोपहर बाद है। इस स्थिति में एक ही तिथि दो अलग-अलग दिनों के सूर्योदय पर प्रभावी हो जाती है। इसे ही आम भाषा में लोग कहते हैं कि एक तिथि का दो दिन पड़ना है। धर्मग्रंथों में इस भ्रम को दूर करने के लिए स्पष्ट निर्देश हैं। धर्मसिन्धु (नवरात्रि पूजन विधि) और निरण्यसिन्धु में उल्लेख है कि यस्य तिथौ सूर्योदयः, सा तिथि मुख्यत्वेन ग्राह्या है। अर्थात् जिस तिथि में सूर्योदय होता है, वही तिथि मुख्य रूप से मान्य होती है। इसका अर्थ यह है कि यदि किसी तिथि का सूर्योदय लगातार दो दिन होता है, तो दोनों दिन वह तिथि मान्य मानी जाएगी।

पंचांगों के अनुसार 24 सितंबर 2025 को प्रातः काल से तृतीया तिथि आरंभ हो चुकी होगी। यह तिथि अगले दिन यानी 25 सितंबर की सुबह तक बनी रहेगी। परिणामस्वरूप 24 और 25 दोनों दिन सूर्योदय तृतीया तिथि में होगा। यही कारण है कि मां चंद्रघंटा की पूजा दो दिन तक शास्त्रसम्मत मानी जा रही है।

जो साधक 24 सितंबर को पूजन करेंगे, उन्हें मां चंद्रघंटा की कृपा से साहस, शौर्य और समृद्धि प्राप्त होगी। जो लोग 25 सितंबर को भी पूजन करेंगे, उन्हें अतिरिक्त पुण्य और मानसिक शांति का लाभ मिलेगा। शास्त्रों के अनुसार जब किसी तिथि का संयोग दो दिनों तक बनता है, तो दोनों दिन पूजन करना श्रेष्ठ माना गया है। तृतीयायां पूजिता चन्द्रघंटा रणप्रिया. सिंहवाहिनी शक्तिरूपा सौभाग्यं ददाति च॥ यानी तृतीया तिथि को पूजित मां चंद्रघंटा रणप्रिय, सिंहवाहिनी और शक्तिरूपा हैं। वे साधक को सौभाग्य, विजय और अपार साहस प्रदान करती हैं। नवरात्रि 2025 में मां चंद्रघंटा की पूजा का अद्भुत संयोग बन रहा है। तृतीया तिथि 24 और 25 सितंबर दोनों दिन पड़ रही है। शास्त्रों के अनुसार जब किसी तिथि का सूर्योदय लगातार दो दिनों तक हो, तो उस तिथि का पूजन दोनों दिन मान्य होता है। इसलिए इस बार भक्त मां चंद्रघंटा का पूजन 24 और 25 सितंबर दोनों दिन कर सकते हैं। हालांकि शास्त्रों के अनुसार पहला दिन (24 सितंबर) मुख्य रूप से श्रेष्ठ माना जाएगा।

अक्षय तृतीया पर्व इसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण है। कई बार अक्षय तृतीया की तिथि दो दिनों तक रहती है। ग्रंथों के अनुसार जब दोनों दिन सूर्योदय तृतीया में हो, तो पर्व दोनों दिन मनाना मान्य होता है। भक्त इसे अतिरिक्त पूजन या पुनरावृत्ति पूजा के रूप में कर सकते हैं। शास्त्रीय दृष्टि से पहला दिन अधिक महत्व रखता है, लेकिन दूसरे दिन पूजन करना वर्जित नहीं है।

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