हरियाणा और चंडीगढ़ में मंगलवार को वरिष्ठ IPS अधिकारी वाई. पूरन कुमार के सुसाइड मामले में महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आए। दिवंगत IPS अधिकारी के नौवें दिन, यानी आज, उनका पोस्टमॉर्टम चंडीगढ़ PGI में शुरू हो गया। उनके पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मजिस्ट्रेट और फोरेंसिक-बैलिस्टिक विशेषज्ञों की मौजूदगी में वीडियोग्राफी के साथ की जा रही है।
पोस्टमॉर्टम के लिए दिवंगत अधिकारी की पत्नी, IAS अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने सुबह सहमति दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि न्याय और सबूत की पारदर्शिता के लिए यह प्रक्रिया समय पर होनी बेहद जरूरी थी। मेडिकल बोर्ड के जरिए किए जा रहे पोस्टमॉर्टम में बैलिस्टिक एक्सपर्ट और मजिस्ट्रेट की उपस्थिति सुनिश्चित की गई है।
क्या है मामला
चर्चित IPS अधिकारी वाई. पूरन कुमार ने 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित अपने सरकारी आवास पर खुद को गोली मारकर सुसाइड कर लिया था। इस घटना के साथ एक 8 पृष्ठ का सुसाइड नोट और एक पृष्ठ की वसीयत भी मिली थी। उनके सुसाइड नोट में हरियाणा के DGP शत्रुजीत कपूर और रोहतक SP नरेंद्र बिजारणिया समेत कुल 15 मौजूदा व पूर्व अधिकारियों पर मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए गए थे।
ओ.पी. सिंह बने हरियाणा कार्यवाहक DGP
इस बीच, हरियाणा सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए DGP शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया है। उनकी जगह 1993 बैच के IPS अधिकारी ओ.पी. सिंह को कार्यवाहक DGP नियुक्त किया गया है। इसके अलावा, कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी परिवार से मिलने पहुंचे और मामले में संवेदनशीलता दिखाते हुए समर्थन व्यक्त किया।
शाम 4 बजे होगा अंतिम संस्कार
पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, दिवंगत IPS अधिकारी का शव सेक्टर-24 स्थित उनके सरकारी आवास पर लाया जाएगा। अंतिम यात्रा तीन बजे शुरू होगी और शाम 4 बजे सेक्टर-25 श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
51 मेंबर की बनी कमेटी
51 मेंबरी कमेटी के अध्यक्ष प्रो. जयनारायण ने कहा कि उनकी मांग के अनुसार हरियाणा सरकार ने DGP को छुट्टी पर भेजा है, जबकि रोहतक SP पहले ही हटाए जा चुके हैं। अब कमेटी की अगली मांग है कि चंडीगढ़ पुलिस निष्पक्ष जांच करे। इसके लिए आज दोपहर को कमेटी के सदस्य प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर कानूनी तरीके से जांच आगे बढ़ाने के लिए ज्ञापन सौंपेंगे।
पूरे मामले ने हरियाणा और चंडीगढ़ में प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस महकमे में गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामले की जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से पूरी होना बेहद आवश्यक है, ताकि सच्चाई सामने आ सके और न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास कायम रहे।