चंडीगढ़ नगर निगम के मेडिकल विभाग में तैनात ड्राइवर मनप्रीत सिंह को नौकरी दिलाने के नाम पर पैसे लेने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। आरोप है कि उसने एक व्यक्ति से नगर निगम में नौकरी दिलाने के लिए तीन लाख रुपये की मांग की थी, लेकिन न तो नौकरी दिलवाई और न ही रकम वापस की।नगर निगम की मेयर हरप्रीत कौर बबला ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि प्राथमिक जांच में मनप्रीत सिंह की भूमिका संदिग्ध पाई गई है और विस्तृत जांच अभी जारी है।
नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी का मामला
खरड़ के युवक गुरप्रीत सिंह जंगू ने नगर निगम के अधिकारियों और SSP चंडीगढ़ को शिकायत दी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें रोजगार की तलाश थी, जिसके दौरान उनका संपर्क नगर निगम के मेडिकल विभाग में तैनात ड्राइवर मनप्रीत सिंह से हुआ।गुरप्रीत सिंह का कहना है कि मनप्रीत ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वह नगर निगम में नौकरी दिला देगा, जिसके लिए 3 लाख रुपये मांगे गए। बाद में यह रकम ढाई लाख रुपये पर तय हुई। अक्टूबर 2022 में उन्होंने 50 हजार रुपये नकद और बाकी दो लाख रुपये ऑनलाइन एक अन्य व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर किए। इसके साथ ही उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यता से संबंधित दस्तावेज भी सौंप दिए।
तीन साल तक नौकरी नहीं मिली
पैसे देने के बाद भी मनप्रीत सिंह ने नौकरी नहीं दिलाई। गुरप्रीत सिंह ने कई बार उनसे संपर्क किया, लेकिन हर बार बहाने बनाकर बात टाल दी गई। एक वर्ष गुजर जाने के बाद भी जब कोई जवाब नहीं मिला, तो पैसे वापस मांगने पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई।गुरप्रीत ने बताया कि करीब तीन साल बीत जाने के बाद भी न तो उन्हें नौकरी मिली और न ही उनकी रकम वापस हुई। इस शिकायत पर नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्राथमिक जांच की, जिसमें मनप्रीत सिंह की भूमिका संदिग्ध पाई गई।
आरोपी पार्षद का रिश्तेदार
सूत्रों के अनुसार, निलंबित ड्राइवर मनप्रीत सिंह नगर निगम के एक मौजूदा पार्षद का रिश्तेदार बताया जा रहा है। नगर निगम कमिश्नर अमित कुमार के निर्देश पर मेडिकल ऑफिसर ऑफ हेल्थ ने मनप्रीत सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। अधिकारियों का कहना है कि पूरी जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।गुरप्रीत सिंह अब अपनी मेहनत की कमाई वापस दिलाने की मांग कर रहे हैं और मामले की न्यायिक जांच की उम्मीद कर रहे हैं।