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सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, पत्नी की याचिका पर कल होगी सुनवाई

लद्दाख के प्रसिद्ध पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को लेकर अब मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। वांगचुक की पत्नी ने उनकी न्यायिक हिरासत और गिरफ्तारी की वैधता को चुनौती देते हुए देश की सर्वोच्च अदालत में याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सोमवार (6 अक्टूबर) को सुनवाई तय की है।
कुछ दिन पहले लद्दाख में प्रदर्शन के दौरान सोनम वांगचुक को पुलिस ने हिरासत में लिया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने लद्दाख में पर्यावरण और अधिकारों से जुड़ी रैली के दौरान प्रशासनिक अनुमति के नियमों का उल्लंघन किया।
वांगचुक के नेतृत्व में स्थानीय लोग लद्दाख को छठा अनुसूची (Sixth Schedule) का दर्जा देने, पर्यावरण की रक्षा और रोजगार से जुड़ी मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे थे।
उनकी गिरफ्तारी के बाद से देशभर में विरोध और समर्थन दोनों ही देखने को मिल रहे हैं। लद्दाख और देश के कई हिस्सों में छात्र, पर्यावरण कार्यकर्ता और आम नागरिक उनके समर्थन में उतर आए हैं।
वांगचुक की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि—
•उनके पति की गिरफ्तारी कानून के दायरे से बाहर और असंवैधानिक है।
•प्रशासन ने उन्हें शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने से रोका और मनमाने तरीके से जेल भेजा।
•उन्होंने कोर्ट से न्यायिक जांच (Judicial Inquiry) की मांग की है, ताकि लद्दाख में हुई कथित पुलिस कार्रवाई की सच्चाई सामने आ सके।
फिलहाल सोनम वांगचुक जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा था कि जब तक लद्दाख में हाल ही में हुई हत्याओं और पुलिस कार्रवाई की न्यायिक जांच नहीं होती, वे जेल से बाहर नहीं आएंगे।
उन्होंने कहा—
“मैं न्याय और पारदर्शिता की मांग करता हूं। जब तक हमारे लोगों को न्याय नहीं मिलेगा, मैं जेल में ही रहना पसंद करूंगा।”
केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन का कहना है कि वांगचुक की गिरफ्तारी कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम था। प्रशासन ने यह भी कहा कि किसी भी नागरिक को शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन जब जनसुरक्षा और शांति व्यवस्था को खतरा होता है, तब पुलिस कार्रवाई करना जरूरी हो जाता है
वांगचुक की गिरफ्तारी के खिलाफ दिल्ली, लद्दाख, लेह, जम्मू, मुंबई और बेंगलुरु में प्रदर्शन हुए हैं।कई पर्यावरण संगठनों, छात्र संघों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे “असहमति की आवाज को दबाने का प्रयास” बताया है।
सोशल मीडिया पर #FreeSonamWangchuk और #JusticeForLadakh जैसे हैशटैग लगातार ट्रेंड कर रहे हैं।अब सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट पर हैं, जहां कल यानी सोमवार को सुनवाई होगी
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला सिर्फ एक गिरफ्तारी का नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों और पर्यावरण आंदोलन की दिशा तय करने वाला हो सकता है।सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी अब एक राष्ट्रव्यापी बहस का विषय बन चुकी है — क्या यह कदम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए था, या फिर पर्यावरण और लोकतंत्र की आवाज को दबाने का प्रयास?
इसका जवाब अब सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से तय होगा।

 

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