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लद्दाख में Gen-Z ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, भाजपा ऑफिस में लगाई आग छात्रों की पुलिस से झड़प ,15 दिन से भूख हड़ताल पर वांगचुक

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर बुधवार को लेह में हालात तनावपूर्ण हो गए। सैकड़ों छात्रों और प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया, जो देखते ही देखते हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारियों की पुलिस और सुरक्षाबलों से झड़प हो गई, जिसके बाद स्थिति बिगड़ती चली गई। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय में आग लगा दी और CRPF की एक गाड़ी को भी आग के हवाले कर दिया। साथ ही सुरक्षाबलों पर जमकर पत्थरबाज़ी भी की गई।बताया जा रहा है कि अब तक इस हिंसा मे 4 लोगों की मौत हो चुकी है और 70 से ज्यादा लोग घायल हुए  हैं।

यह विरोध प्रदर्शन लद्दाख के चर्चित पर्यावरण कार्यकर्ता और सोशल ACTIVIST सोनम वांगचुक के समर्थन में किया जा रहा है, जो पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। वांगचुक लंबे समय से लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने, जलवायु और संस्कृति की रक्षा के लिए 6वें शेड्यूल के तहत संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। बुधवार को इस मुद्दे को लेकर इलाके में बंद का ऐलान किया गया था और भारी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाज़ी की और सरकार से जल्द फैसले की मांग की।

सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है, लेकिन इस मुद्दे पर अगली बड़ी बैठक 6 अक्टूबर को दिल्ली में होने जा रही है, जिसमें वांगचुक और अन्य प्रतिनिधि केंद्र सरकार के साथ चर्चा करेंगे। साल 2019 में अनुच्छेद 370 और 35A को हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया था। उस समय केंद्र सरकार ने वादा किया था कि जब हालात सामान्य होंगे, तो राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। अब लद्दाख के लोग उसी वादे को पूरा करने की मांग को लेकर सड़क पर हैं।

लेह में हुए इस प्रदर्शन के बाद स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। हालात को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। सोनम वांगचुक की बिगड़ती तबीयत को देखते हुए उनका स्वास्थ्य परीक्षण भी कराया जा रहा है, लेकिन वे अब भी अनशन पर डटे हुए हैं।

क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग?

प्रदर्शनकारियों की 2 अहम मांगें हैं। पहली– लद्दाख को दोबारा पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए और दूसरी– वहां पर संविधान की छठवीं अनुसूची लागू की जाए। इसके अलावा प्रदर्शनकारी करगिल और लेह को लोकसभा सीट बनाने की मांग कर रहे हैं। फिलहाल यहां केवल एक ही लोकसभा सीट है। अनुच्छेद 370 हटने से पहले लद्दाख में 4 विधानसभा सीटें थीं, लेकिन अब एक भी नहीं है। प्रदर्शनकारी इसे भी बहाल करने की मांग कर रहे हैं।

क्या है संविधान की छठवीं अनुसूची

छठवीं अनुसूची में आदिवासी आबादी के लिए कई विशेष प्रावधान हैं। इसके तहत जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिले बनाए जा सकते हैं। इन जिलों को विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्वायत्तता मिलती है। हर स्वायत्त जिले में एक स्वायत्त जिला परिषद (ADC) बनाई जा सकती है। इसे भूमि, जंगल, जल, कृषि, ग्राम परिषद, विरासत, विवाह, तलाक और खनन आदि से जुड़े कानून बनाने का हक होता है। पूर्वोत्तर के कई राज्यों असम  , त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम में यह विशेष व्यवस्था लागू है।

वांगचुक ने अनशन तोड़ा, युवाओं से अपील- हिंसा रोकें

हिंसा के बाद सोनम वांगचुक ने कहा, यह लद्दाख के लिए दुख का दिन है। हम पांच साल से शांति के रास्ते पर चल रहे थे। अनशन किया, लेह से दिल्ली तक पैदल चलकर गए। आज हम शांति के पैगाम को असफल होते हुए देख रहे हैं। हिंसा, गोलीबारी और आगजनी हो रही है। मैं लद्दाख की युवा पीढ़ी से अपील करता हूं कि इसे रोक दें, ये लद्दाख के मुद्दे का समर्थन नहीं है। इससे स्थिति और गंभीर होती जाएगी। मैं अपील करता हूं प्रशासन से कि गोलाबारी रोक दें। हम अपना अनशन तोड़ रहे हैं, प्रदर्शन रोक रहे हैं। हम चाहते हैं कि प्रशासन अपना दबाव छोड़ दें। युवा भी हिंसा रोक दें, हमारी यही अपील है। हम लद्दाख और देश में अस्थिरता नहीं आने देना चाहते।

 

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