भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज उत्तराखंड का दो दिवसीय दौरा सफलतापूर्वक पूरा कर वापस दिल्ली के लिए रवाना हो गई हैं। बीते कल, राष्ट्रपति ने राज्य की राजधानी देहरादून में रजत जयंती पर बुलाए गए विशेष सत्र को संबोधित किया, जिसके बाद वह नैनीताल के लिए प्रस्थान किया।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज सुबह नैनीताल में स्थित कैंची धाम के दर्शन किए। यह पहली बार था जब किसी भारतीय राष्ट्रपति ने कैंची धाम का दौरा किया। मंदिर में उन्होंने श्रद्धालुओं के बीच पूजा-अर्चना की और राष्ट्र की सुख, शांति और खुशहाली की कामना की। इसके बाद राष्ट्रपति ने मां नयना देवी शक्तिपीठ में भी पूजा-अर्चना की, जहां उन्होंने राज्य और देश की समृद्धि के लिए विशेष प्रार्थना की।

कुमाऊं विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं राष्ट्रपति
राष्ट्रपति ने नैनीताल में कुमाऊं विश्वविद्यालय के 51वें स्थापना वर्ष के दीक्षांत समारोह में भी भाग लिया। यह विश्वविद्यालय के इतिहास में पहला अवसर था जब देश की प्रथम नागरिक दीक्षांत समारोह की मुख्य अतिथि रही।राष्ट्रपति ने समारोह में करीब 20 स्टूडेंट्स को गोल्ड मेडल प्रदान किए और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डी.एस. रावत से छात्रों की उपलब्धियों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि राजभवन लोकतांत्रिक व्यवस्था का प्रतीक हैं और राज्यपाल का कार्य संवैधानिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने राजभवन से जुड़े सभी अधिकारियों को सरलता, विनम्रता और नैतिकता का पालन करने की प्रेरणा दी।राष्ट्रपति ने बीते शाम नैनीताल राजभवन की 125वीं वर्षगांठ कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर राज्य की लोक संस्कृति और परंपराओं पर आधारित सांस्कृतिक प्रस्तुतियां आयोजित की गईं। साथ ही राजभवन की ऐतिहासिक विरासत और स्थापत्य सौंदर्य को दर्शाती एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई।

सुरक्षा और स्वागत की विशेष व्यवस्था
राष्ट्रपति के दौरे के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। नैनीताल एसएसपी ने पूरे क्षेत्र को रेड जोन घोषित किया और 1500 से अधिक अधिकारी व जवान तैनात किए गए। राष्ट्रपति के आगमन पर राज्यपाल रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत, कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत, आईजी रिद्धिम अग्रवाल, डीएम ललित मोहन रयाल, एसएसपी मंजूनाथ टी.सी., मेयर गजराज बिष्ट और आर्मी स्टेशन कमांडेंट सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका भव्य स्वागत किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का यह दौरा उत्तराखंड के लिए ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण रहा। धर्म, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए इस दौरे ने राज्य की सांस्कृतिक और शैक्षिक विरासत को और अधिक गौरवान्वित किया।










