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JISALMER BUS FIRE INCIDENT: जैसलमेर से जोधपुर जा रही नई AC बस अचानक लगी आग, 20 यात्रियों की जिंदा जलकर मौत, DNA सैंपलिंग से हो रही पहचान

राजस्थान के जैसलमेर ज़िले में मंगलवार दोपहर हुए भयानक बस अग्निकांड ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। जैसलमेर से जोधपुर जा रही एक एसी स्लीपर बस देखते ही देखते आग का गोला बन गई। हादसा इतना भयानक था कि 20 यात्रियों की जिंदा जलकर मौत हो गई, जबकि 15 लोग गंभीर रूप से झुलस गए हैं। कई शव बस की बॉडी से चिपक गए थे और कुछ यात्रियों के शरीर पूरी तरह राख में तब्दील हो गए।

DNA सैंपलिंग से हो रही है मृतकों की पहचान

हादसे में मारे गए यात्रियों के शव इतनी बुरी तरह जल चुके हैं कि उनकी पहचान करना बेहद मुश्किल हो गया है। मृतकों की पहचान के लिए अब DNA सैंपलिंग शुरू कर दी गई है। जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल और जैसलमेर के जवाहिर अस्पताल में DNA सैंपलिंग के लिए विशेष इंतज़ाम किए गए हैं।हर मृतक के दो निकटतम परिजनों के सैंपल लिए जा रहे हैं। इस प्रक्रिया के लिए अजमेर और बीकानेर से भी विशेषज्ञ टीमों को बुलाया गया है। जोधपुर निवासी जितेश चौहान, जो जैसलमेर सोलर प्लांट में कार्यरत थे, इस हादसे में मारे गए। उनके परिवार के सदस्य सुबह 7:30 बजे अस्पताल पहुंच गए थे, लेकिन सैंपल लेने में देरी से परिजन नाराज़ नज़र आए।

हादसे का भयावह कारण

यह हादसा मंगलवार दोपहर करीब 3:30 बजे जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर थईयात गांव के पास हुआ। बस में सवार यात्रियों को समझ ही नहीं आया कि कुछ ही पलों में उनके चारों ओर लपटें फैल गई हैं।प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बस के पीछे की यूनिट से आग लगी, जो पलभर में पूरे वाहन में फैल गई। बस के अंदर फाइबर की बॉडी, कांच की खिड़कियां और संकरी गैलरी थी, जिसके चलते लोग बाहर नहीं निकल सके।बस में केवल एक ही दरवाजा था, जो आग की वजह से लॉक हो गया। जिसके चलते यात्री अंदर ही फंस गए और जिंदा जल गए।

रेस्क्यू ऑपरेशन

बस में आग लगते ही आस-पास के लोगों ने शोर मचाया। शराब ठेकेदार कस्तूर सिंह सबसे पहले मौके पर पहुंचे। उन्होंने आर्मी क्षेत्र में खड़े एक पानी के टैंकर को जब्त कर आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।घटनास्थल जैसलमेर शहर से मात्र 9 किलोमीटर दूर था, लेकिन फायर ब्रिगेड को पहुंचने में 45 मिनट लग गए।आर्मी के जवानों ने JCB लगाकर बस का दरवाजा तोड़ा, तब जाकर रेस्क्यू कार्य शुरू हो सका।

आग के संभावित कारण  क्या हैं आखिर?

हादसे के कारणों को लेकर कई दावे किए जा रहे हैं।प्रारंभिक जांच में  सामने आया है कि शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है।कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि  ACका कंप्रेसर पाइप फटने से आग लगी।वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि बस की डिग्गी में पटाखे रखे गए थे, जिनसे आग भड़की।जांच एजेंसियां इन सभी पहलुओं की जांच कर रही हैं।

नई बस पर सुरक्षा के इंतजाम शून्य

हादसे में शामिल ये बस केके ट्रैवल्स की थी। यह बस 1 अक्टूबर को ही रजिस्टर हुई थी और 9 अक्टूबर को इसे ऑल इंडिया परमिट मिला था। यह उसका चौथा दिन था।प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि बस पूरी तरह से मॉडिफाइड थी।इसमें कोई इमरजेंसी गेट नहीं था। विंडो हैमर भी नहीं लगे थे।बस की गैलरी बहुत संकरी थी।इन्ही खामियों के कारण यात्री समय रहते बाहर नहीं निकल सके।

एक ही परिवार के 5 सदस्य मौत

इस हादसे में एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत हो गई। वहीं, जोधपुर के पत्रकार राजेंद्र चौहान भी इस हादसे में अपनी जान गंवा बैठे।घायलों में एक कपल भी शामिल है, जो प्री-वेडिंग शूट कराकर जैसलमेर से जोधपुर लौट रहा था। उनकी शादी 11 नवंबर को होनी थी। दोनों बस के आगे की सीट पर बैठे थे, इसलिए समय रहते बाहर निकल पाए।

ग्रीन कॉरिडोर से घायल जोधपुर पहुंचे

गंभीर रूप से झुलसे 16 घायलों को जैसलमेर से जोधपुर तक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पहुंचाया गया। इनमें से कई 70% तक झुलस चुके हैं। एक बुजुर्ग की रास्ते में ही मौत हो गई।मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा मंगलवार देर रात जोधपुर पहुंचे और महात्मा गांधी अस्पताल में घायलों से मुलाकात की। उन्होंने डॉक्टरों को बेहतरीन इलाज के निर्देश दिए।

राहत और सहायता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए पीएम राहत कोष से आर्थिक सहायता की घोषणा की है। मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख और गंभीर घायलों को ₹50 हजार मिलेंगेराष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस त्रासदी पर गहरा दुःख जताया है।

पुलिस ने की जांच शुरू

जैसलमेर कोतवाली पुलिस ने बस बुकिंग एजेंट से पूछताछ की है। उसने बताया कि जब वह गडीसर सर्किल पर उतरा, तब बस में 30 यात्री सवार थे।बाद में DRDO के जवान महेंद्र मेघवाल अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ बस में चढ़े।
कुल मिलाकर लगभग 35 यात्री बस में सवार थे, हालांकि पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि इसके बाद और कितने लोग बस में बैठे।

जैसलमेर का यह बस अग्निकांड सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि सुरक्षा मानकों की लापरवाही का भयावह उदाहरण है।नई बस होने के बावजूद उसमें न सुरक्षा उपकरण थे, न इमरजेंसी एग्जिट। एक चिंगारी ने दर्जनों परिवारों की ज़िंदगियां तबाह कर दीं।

 

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