राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली-NCR के क्षेत्र में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को निर्देश दिया कि वह प्रदूषण को रोकने के लिए उठाए गए कदमों का विस्तृत ब्योरा देते हुए हलफनामा दाखिल करे।मुख्य न्यायाधीश B.R. गवई और न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि अधिकारी केवल तब कदम न उठाएं जब वायु प्रदूषण गंभीर स्तर तक पहुँच जाए, बल्कि पहले से तैयारी करके लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।

दिवाली के बाद दिल्ली की हवा जहरीली
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि दिवाली के दिन दिल्ली में 37 एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों में से केवल 9 ही लगातार काम कर रहे थे। वरिष्ठ अधिवक्ता और एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने अदालत को बताया कि अगर मॉनिटरिंग स्टेशन सही ढंग से काम नहीं करेंगे, तो यह तय करना मुश्किल होगा कि ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) कब लागू किया जाए।दिवाली के बाद दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार चला गया। CPCB के अनुसार, दिवाली के बाद PM2.5 स्तर 488 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुँच गया, जबकि त्योहार से पहले यह मात्र 156.6 माइक्रोग्राम था। द्वारका में AQI 417, अशोक विहार में 404, वजीरपुर में 423 और आनंद विहार में 404 दर्ज किया गया।
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि CAQM को यह स्पष्ट करना होगा कि प्रदूषण को गंभीर स्तर तक पहुँचने से रोकने के लिए अब तक कौन से कदम उठाए गए हैं। अदालत ने निर्देश दिया कि आयोग विस्तृत हलफनामा दाखिल करे, जिसमें पहले से किए जा रहे और प्रस्तावित उपायों का विवरण शामिल हो।सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने भरोसा दिलाया कि सभी एजेंसियां स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी।

कोर्ट ने उठाए कई अहम कदम
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले कुछ वर्षों में बढ़ते प्रदूषण और मॉनिटरिंग स्टेशनों के बंद होने की गंभीरता को देखते हुए CAQM और CPCB को स्पष्ट निर्देश दिए हैं।सभी वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग स्टेशनों को नियमित रूप से सक्रिय रखना।GRAP के समय और कार्यान्वयन का स्पष्ट डेटा उपलब्ध कराना।प्रदूषण स्तर के गंभीर होने का इंतजार न करना, बल्कि पूर्व-निवारक कदम उठाना।दिवाली और अन्य उत्सवों के दौरान ग्रीन पटाखों की सीमित बिक्री और उपयोग का कड़ाई से पालन करें।सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी एजेंसियों को सप्ताहिक और दैनिक रिपोर्ट दाखिल करनी चाहिए ताकि जनता और सरकार को वास्तविक स्थिति का पता चल सके।
दिल्ली में स्वास्थ्य आपातकाल
वर्तमान में दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है। नागरिकों, विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह गंभीर खतरे का संकेत है। विशेषज्ञों की चेतावनी और सुप्रीम कोर्ट की सख्ती यह दर्शाती है कि प्रदूषण केवल संख्या नहीं बल्कि एक स्वास्थ्य आपातकाल है।










