आज 21 अक्टूबर 2025 को देशभर में मनाये जा रहे पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि “राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस और सेना की भूमिका मूल रूप से समान है”। उन्होंने शहीदों को नमन करते हुए यह बात रखी।
यह दिवस हर वर्ष 21 अक्टूबर को मनाया जाता है।– इस दिन इसलिए चुना गया है क्योंकि 21 अक्टूबर 1959 को लद्दाख के हॉट-स्प्रिंग्स क्षेत्र में चीनी सैनिकों द्वारा घातक हमले में पुलिस के 10 वीर जवानों ने अपने प्राण न्यौछावर किए थे।
इस वर्ष मुख्य कार्यक्रम नई दिल्ली के राष्ट्रीय पुलिस स्मारक (चाणक्यपुरी) में आयोजित किया गया, जहाँ राजनाथ सिंह ने पुष्पांजलि अर्पित की। रक्षा मंत्री ने कहा कि “पुलिसकर्मी और सैनिक दोनों ही देश की सार्वभौमिक सुरक्षा, आजादी और एकता की रक्षा के लिए समर्पित हैं। उनकी भूमिका में अंतर नहीं, बल्कि एक साझा समर्पण है।
इसके अलावा उन्होंने पुलिस बल की वीरता, बलिदान और समर्पण को राष्ट्रीय सुरक्षा संरचना का अभिन्न अंग बताया।
समारोह के दौरान केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) तथा दिल्ली पुलिस की संयुक्त परेड का आयोजन हुआ।
स्मारक स्थल में स्थित 30 फुट ऊँची ग्रेनाइट प्रतिमा, ‘शौर्य की दीवार’ तथा संग्रहालय की भी जानकारी साझा की गई, जहाँ शहीद पुलिसकर्मियों के नाम अंकित हैं।
साथ ही, 22 से 30 अक्टूबर के बीच विभिन्न क्षेत्रीय पुलिस बलों द्वारा शहीदों के परिजनों को आमंत्रित कर स्मृति-कार्यक्रम, मोटरसाइकिल रैली, दौड़ आदि आयोजित किये जाने का निर्देश जारी हुआ है। पुलिस स्मृति दिवस न सिर्फ उन शहीदों की याद में है जिन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाता है कि कानून एवं व्यवस्था और सीमा-रक्षा — दोनों ही ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के स्तंभ हैं। इस वर्ष के आयोजन में यह बात विशेष रूप से प्रमुख रही कि पुलिस और सेना की भूमिका में समन्वय, समानता और आपसी-समर्थन की जरूरत है।
आज इस अवसर पर शहीदों को एक बार फिर याद किया गया, उनकी कर्मभूमि को नमन किया गया और देश ने यह संदेश दिया कि वे भूले नहीं गए। जैसे रक्षा मंत्री ने कहा — “पुलिस और सेना अलग-अलग नहीं, बल्कि एक-समान धारा में बहने वाले दो प्रवाह हैं, जो हमारे देश की रक्षा सुनिश्चित करते हैं।