भारत और कनाडा के बीच ठंडे पड़े रिश्तों में अब पिघलन दिखाई देने लगी है। 2023 में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद तत्कालीन कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों से जो कूटनीतिक तनाव उत्पन्न हुआ था, वह अब धीरे-धीरे कम होता नजर आ रहा है। इस बीच कनाडा की नई विदेश मंत्री अनीता आनंद की भारत यात्रा को दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली और सहयोग को पुनर्जीवित करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
अनीता आनंद, जिन्होंने मई 2025 में विदेश मंत्री का पदभार संभाला, अपनी इस पहली भारत यात्रा पर रविवार शाम नई दिल्ली पहुंचीं। सोमवार को उन्होंने विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस यात्रा को भारत-कनाडा के संबंधों को “नए अध्याय की शुरुआत” के रूप में देखा जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडाई विदेश मंत्री अनीता आनंद का स्वागत करते हुए कहा कि उनकी यात्रा से भारत-कनाडा साझेदारी को “नई गति” मिलेगी। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) द्वारा जारी बयान के अनुसार, बैठक के दौरान मोदी ने इस वर्ष जून में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान कनाडा यात्रा और वहां प्रधानमंत्री मार्क कार्नी से हुई “बेहद सार्थक” बातचीत को याद किया।
PM मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर भी अनीता आनंद से मुलाकात की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा –“कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद का स्वागत किया। आपसी विकास और समृद्धि के लिए व्यापार, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, कृषि और लोगों के बीच आदान-प्रदान में सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की गई।”बैठक में दोनों नेताओं ने व्यापार, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, कृषि, शिक्षा और सुरक्षा सहयोग जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच साझेदारी न केवल द्विपक्षीय हितों बल्कि वैश्विक स्थिरता और विकास के लिए भी अहम है।
S. जयशंकर और अनीता आनंद की बैठक
इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अनीता आनंद के बीच नई दिल्ली में विस्तृत वार्ता हुई। जयशंकर ने कहा कि “पिछले कुछ महीनों में भारत-कनाडा संबंधों में निरंतर प्रगति हुई है” और अब दोनों देश “साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक तंत्रों को फिर से सक्रिय” कर रहे हैं।दोनों मंत्रियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSAs) के बीच हाल ही में हुई बातचीत को “विश्वास बहाली की दिशा में महत्वपूर्ण कदम” बताया। जयशंकर ने कहा कि भारत कनाडा को एक “खुला समाज, विविधता और बहुलवाद का प्रतीक” मानता है, जो घनिष्ठ सहयोग की नींव है।बैठक में दोनों देशों ने AI, साइबर सुरक्षा, फिनटेक और ऊर्जा जैसे उभरते क्षेत्रों में सहयोग के लिए एक महत्वाकांक्षी रोडमैप पर सहमति जताई।
शिक्षा और सांस्कृतिक सहयोग को नया बल
दोनों पक्षों ने शिक्षा, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर जोर दिया। निर्णय लिया गया है।कनाडाई विश्वविद्यालय भारत में कैंपस खोलने की दिशा में काम करेंगे।उच्च शिक्षा संयुक्त कार्य समूह (Joint Working Group on Higher Education) को फिर से सक्रिय किया जाएगा।छात्र, शोधकर्ता और पेशेवरों की गतिशीलता बढ़ाई जाएगी।इसके अलावा, टूरिज्म को बढ़ावा देने और लोगों के बीच बेहतर संवाद स्थापित करने के लिए नई नीतियां लागू की जाएंगी।
जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा क्षेत्र में सांझेदारी
भारत और कनाडा ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए व्यापक सहयोग पर सहमति जताई।दोनों देश स्वच्छ ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, जैव ईंधन, इलेक्ट्रिक वाहन, और कार्बन कैप्चर तकनीक पर मिलकर काम करेंगे।खनन और महत्वपूर्ण खनिज के क्षेत्र में कनाडा की विशेषज्ञता भारत के लिए अहम भूमिका निभाएगी।मार्च 2026 में टोरंटो में महत्वपूर्ण खनिज वार्षिक संवाद (Critical Minerals Dialogue) आयोजित किया जाएगा।ऊर्जा क्षेत्र में दोनों देशों ने मंत्रिस्तरीय स्तर की ऊर्जा वार्ता को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है।
व्यापार और निवेश में नई रफ्तार
बैठक में द्विपक्षीय व्यापार को लेकर संतोष व्यक्त किया गया।2024 में भारत-कनाडा व्यापार 23.66 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया, जो अब तक का सर्वाधिक है।दोनों पक्षों ने मंत्रिस्तरीय व्यापार वार्ता को जल्द पुनः शुरू करने औरभारत-कनाडा CEO फोरम को फिर से सक्रिय करने व वरिष्ठ व्यापार मिशन 2026 के आयोजन का निर्णय लिया।CEO फोरम साफ तकनीक, कृषि-खाद्य, डिजिटल नवाचार और बुनियादी ढांचे पर नीतिगत सिफारिशें देगा।
सुरक्षा और वैश्विक सहयोग
दोनों देशों के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने की दिशा में भी सहमति बनी। एनएसए स्तर की बातचीत को नियमित रूप से जारी रखने और आतंकवाद विरोधी सूचनाओं के आदान-प्रदान की प्रणाली को सुदृढ़ बनाने पर भी चर्चा हुई।भारत और कनाडा ने वैश्विक मंचों जैसे G20, संयुक्त राष्ट्र और अन्य बहुपक्षीय संस्थानों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई।
2023 में रिश्तों में आई कड़वाहट के बाद यह पहली बार है जब दोनों देशों के बीच इतने उच्चस्तरीय संवाद हो रहे हैं। अनीता आनंद की यह यात्रा केवल औपचारिकता नहीं बल्कि विश्वास और संवाद की नई शुरुआत के रूप में देखी जा रही है।