BREAKING

IndiaPunjab

पराली पर फिर आग: पंजाब में मामलों की संख्या 100 पार, दिल्ली पर मंडराया प्रदूषण संकट”

पंजाब में पराली जलाने के मामले बढ़े, कुल संख्या 116 पहुंची — पिछले 24 घंटे में 14 नए केस दर्ज

पंजाब में पराली जलाने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। राज्य में अब तक 116 पराली जलाने के मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें से पिछले 24 घंटों में 14 नए केस सामने आए हैं। यह आंकड़ा उस समय बढ़ा है जब राज्य सरकार ने सख्त निगरानी और जागरूकता अभियान चलाने का दावा किया

किसानों की लापरवाही और मौसम का असर

मौसम के ठंडा होने और फसल कटाई के साथ ही पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि धान की कटाई के बाद खेतों की सफाई में किसान अब भी आग का सहारा ले रहे हैं, जबकि इसके लिए वैकल्पिक उपाय उपलब्ध कराए गए हैं।

कई जिलों — अमृतसर, तरनतारन, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब और संगरूर — से सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के अनुसार, प्रशासन ने अब तक कई किसानों के खिलाफ केस दर्ज किए हैं और कुछ पर जुर्माना भी लगाया गया है
इसके बावजूद पराली जलाने की घटनाओं में कमी नहीं आई है।

राज्य सरकार ने दावा किया है कि वह “सैटेलाइट मॉनिटरिंग और ड्रोन सर्विलांस” के ज़रिए पराली जलाने की निगरानी कर रही है।

🔹 दिल्ली-एनसीआर पर मंडराता प्रदूषण संकट

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह रुझान जारी रहा, तो दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता (AQI) पर इसका असर अगले दो हफ्तों में साफ दिखेगा।
हर साल अक्टूबर-नवंबर में पराली के धुएं के कारण दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में स्मॉग और सांस की बीमारियों में वृद्धि देखी जाती है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने पहले ही चेतावनी जारी की है कि अगर पराली जलाना नहीं रुका, तो ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत सख्त कदम उठाए जाएंगे।

किसान संगठनों का कहना है कि सरकार केवल सज़ा और जुर्माने की बात करती है, लेकिन कृषि अवशेष निस्तारण के व्यावहारिक समाधान नहीं दे पाई है।
किसानों का कहना है कि खेत में फसल कटाई के बाद समय बहुत कम होता है, इसलिए वे मजबूरी में आग लगाने को विवश हैं।कृषि विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकार को स्ट्रॉ मैनेजमेंट मशीनें सब्सिडी पर अधिक संख्या में उपलब्ध करानी चाहिए।बायो-एनेर्जी प्लांट्स के ज़रिए पराली को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने पर ध्यान देना चाहिए।किसानों को फसल विविधीकरण (क्रॉप डाइवर्सिफिकेशन) की ओर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।पंजाब में पराली जलाने के बढ़ते मामले प्रदूषण नियंत्रण के लिए चिंता का विषय हैं।
यदि तत्काल ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो अगले कुछ हफ्तों में उत्तरी भारत में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो सकता है। सरकार, किसान और समाज — तीनों को मिलकर ही इस समस्या का स्थायी समाधान निकालना होगा।

 

Leave A Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts

Subscribe to Our Newsletter!

This will close in 0 seconds