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पंजाब में पराली जलाने के 188 मामले: अमृतसर में सबसे ज्यादा केस, PPCB ने लगाया जुर्माना”  

पंजाब में पराली जलाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जिससे राज्य में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। हाल ही में सामने आए आंकड़ों के अनुसार, अब तक कुल 188 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए हैं। इन मामलों में सबसे अधिक संख्या अमृतसर जिले में 76, जबकि तरनतारन जिले में 55 मामले सामने आए हैं।

पराली जलाना न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि इसके कारण वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम भी बढ़ता है। राज्य सरकार और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) ने इस पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं।

अमृतसर: 76 मामले – सबसे अधिक।

  • तरनतारन: 55 मामले – दूसरे स्थान पर।
  • पटियाला: 11 मामले – तीसरे स्थान पर।
  • पठानकोट, मुक्तसर और मोगा: अभी तक एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ।

यह आंकड़ा दर्शाता है कि कुछ जिले पराली जलाने के मामलों में अधिक संवेदनशील हैं और वहां निगरानी और कार्रवाई की आवश्यकता अधिक है।

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 188 मामलों में से 93 मामलों में कार्रवाई की।

इन मामलों में कुल 4 लाख 60 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया।

इसमें से 3 लाख 30 हजार रुपये की वसूली पहले ही की जा चुकी है।

अधिकारियों का कहना है कि यह जुर्माना और कार्रवाई अन्य किसानों को चेतावनी देने और पराली जलाने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए है।पराली जलाने से वायु में हानिकारक गैसों और धुंध का स्तर बढ़ जाता है।

इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे अस्थमा, एलर्जी और अन्य श्वसन रोग बढ़ सकते हैं।

यह कदम जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संतुलन को भी प्रभावित करता है।

पंजाब में पराली जलाने के 188 मामलों ने यह दिखाया कि राज्य में अभी भी पराली प्रबंधन एक चुनौती है।

अमृतसर और तरनतारन जैसे जिले विशेष रूप से सतर्क रहने की आवश्यकता रखते हैं।

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कड़ी कार्रवाई और जुर्माना अन्य किसानों को चेतावनी देने के लिए महत्वपूर्ण कदम है।

सतत निगरानी, जागरूकता अभियान और आधुनिक कृषि प्रथाओं को अपनाकर ही पराली जलाने की प्रवृत्ति को कम किया जा सकता है।

राज्य सरकार और पर्यावरण विभाग की संयुक्त पहल से ही पंजाब में स्वच्छ वायु और सुरक्षित पर्यावरण सुनिश्चित किया जा सकता है।

 

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