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द्वितीय ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा को लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि”

भारत के स्टार भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा को भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि दी गई। यह सम्मान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और थल सेना अध्यक्ष उपेंद्र द्विवेदी की मौजूदगी में एक विशेष समारोह के दौरान प्रदान किया गया।

नीरज इस अवसर पर सेना की वर्दी में नजर आए।

इससे पहले नीरज को प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद रैंक देने की अधिसूचना जारी की गई थी।नीरज चोपड़ा ने लगातार दो ओलंपिक में पदक जीतकर भारत का नाम गौरवान्वित किया है      टोक्यो ओलंपिक 2020: स्वर्ण पदकपेरिस ओलंपिक 2024: रजत पदक

नीरज 27 साल के हैं और हरियाणा के पानीपत के खंडरा गांव के रहने वाले हैं।

नीरज इससे पहले भारतीय सेना में सूबेदार मेजर थे।इस साल मई में अधिसूचना जारी करते हुए उन्हें प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल बनाने की घोषणा की गई थी।अधिसूचना में कहा गया कि:”प्रादेशिक सेना विनियम 1948 के पैरा-31 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राष्ट्रपति नीरज चोपड़ा को 16 अप्रैल 2025 से प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल का मानद पद प्रदान करती हैं।”नीरज से पहले भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को भी 2011 में प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल का मानद पद मिला थासमारोह में नीरज ने सेना की वर्दी पहनकर अपना गौरव और देशभक्ति का संदेश दिया।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नीरज की उपलब्धियों की सराहना की और कहा कि नीरज ने खेल और देश सेवा दोनों में उत्कृष्ट उदाहरण स्थापित किया है।थल सेना अध्यक्ष उपेंद्र द्विवेदी ने भी नीरज की उपलब्धियों और उनके कड़ी मेहनत को सम्मानित किया।

नीरज जैसे ओलंपिक विजेता एथलीटों को सेना में मानद उपाधि देकर देश खेल और सेना दोनों के क्षेत्र में प्रेरणा देता है।नीरज का करियर साबित करता है कि समर्पण, मेहनत और देशभक्ति से अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियाँ और राष्ट्रीय सम्मान दोनों हासिल किए जा सकते हैं।लगातार दो ओलंपिक में पदक जीतने के बाद सेना में मानद रैंक पाने से नीरज ने देश का नाम अंतरराष्ट्रीय मंच पर और ऊंचा किय

नीरज चोपड़ा का लेफ्टिनेंट कर्नल बनना केवल खेल और सेना का संगम नहीं है, बल्कि यह युवा पीढ़ी को प्रेरित करने वाला उदाहरण भी है।

ओलंपिक में स्वर्ण और रजत पदक जीतने के बाद अब नीरज ने भारतीय सेना में भी अपनी सेवा और देशभक्ति का प्रतीक बनकर इतिहास रचा है।यह सम्मान न केवल नीरज के करियर का नया मुकाम है, बल्कि भारतीय खेल और सेना की दुनिया में भी गर्व का पल है।

 

 

 

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