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देश के 12 राज्यों में आज से SIR शुरू, 7 फरवरी तक चलेगी प्रक्रिया, 51 करोड़ मतदाता होंगे विशेष सघन पुनरीक्षण में शामिल

चुनाव आयोग ने सोमवार को घोषणा की थी कि बिहार के सफल SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) के बाद अब देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूची का विशेष सघन पुनरीक्षण 28 अक्टूबर से शुरू होगा। यह प्रक्रिया 7 फरवरी 2026 तक चलेगी। इस दौरान मतदाता सूची में नए वोटरों के नाम जोड़े जाएंगे, मृतक मतदाताओं के नाम हटाए जाएंगे और सूची में मौजूद अन्य गलतियों को ठीक किया जाएगा।मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि सोमवार रात से ही इन 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की मतदाता सूची को फ्रीज कर दिया जाएगा। इसका मतलब है कि अब इन राज्यों में न तो कोई नया नाम जोड़ा जाएगा और न ही कोई नाम हटाया जाएगा।

कौन-कौन से राज्य और केंद्रशासित प्रदेश शामिल हैं?

SIR के दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश,पश्चिम बंगाल,मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़,तमिलनाडु,राजस्थान,केरल .गुजरात,गोवा,पुडुचेरी,लक्षद्वीप.अंडमान निकोबार राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश शामिल है।इनमें से पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में अगले साल यानी 2026 की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश, गुजरात और गोवा में 2027 में विधानसभा चुनाव होंगे। असम में इस साल SIR नहीं होगा क्योंकि वहां सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में नागरिकता जांच चल रही है।

क्या है SIR ?

SIR यानी विशेष सघन पुनरीक्षण, चुनाव आयोग की एक संवैधानिक प्रक्रिया है। इसके तहत 18 साल से अधिक उम्र के नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में जोड़े जाते हैं।जिनकी मृत्यु हो चुकी है या जो दूसरे स्थान पर शिफ्ट हो चुके हैं, उनके नाम हटाए जाते हैं।मतदाता सूची में पते और नाम में हुई गलतियों को ठीक किया जाता है।बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) घर-घर जाकर मतदाताओं से जानकारी एकत्रित करते हैं।चुनाव आयोग ने बताया कि यह प्रक्रिया पिछले 21 साल से बाकी थी। इस लंबी अवधि में काफी बदलाव हुए हैं, जैसे लोगों का माइग्रेशन, दो जगह वोटर सूची में नाम होना, मृतक मतदाताओं के नाम रह जाना, और विदेशी नागरिकों का गलत तरीके से सूची में शामिल होना। SIR का उद्देश्य मतदाता सूची को पूरी तरह पारदर्शी और शुद्ध बनाना है।

मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्यक्रम

चुनाव आयोग ने SIR के दूसरे चरण का विस्तृत कार्यक्रम भी जारी किया है।28 अक्टूबर से 3 नवंबर तक गणना पत्रों की छपाई और BLO को प्रशिक्षण करना है।4 नवंबर से 4 दिसंबर तक घर-घर जाकर पुनरीक्षण का कार्य करना और 9 दिसंबर को मतदाता सूची के मसौदे का प्रकाशन व 9 दिसंबर 2025 से 8 जनवरी 2026 तक दावे और आपत्तियों की अवधि,9 दिसंबर 2025 से 31 जनवरी 2026 तक दस्तावेजों की जांच, नोटिस, सुनवाई और सत्यापन व 7 फरवरी 2026 अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन करना।इस दौरान प्रत्येक मतदाता को एक यूनिक फॉर्म दिया जाएगा जिसमें उनका पुराना पता, फोटो और अन्य विवरण होगा। यदि मतदाता उस पते पर नहीं रहते हैं या अन्य जानकारी बदल गई है, तो वे इसे अपडेट कर सकते हैं। आयोग ने सुझाव दिया है कि गणना फॉर्म में रंगीन फोटो लगाई जाए ताकि पहचान पत्र जारी करते समय चेहरे स्पष्ट दिखाई दें।

कितने मतदाता होंगे और प्रक्रिया में कौन शामिल होगा?

दूसरे चरण में करीब 51 करोड़ मतदाता शामिल हैं। इनमें सबसे अधिक 15.44 करोड़ मतदाता अकेले उत्तर प्रदेश में हैं। पश्चिम बंगाल में 7.66 करोड़, तमिलनाडु में 6.41 करोड़, मध्य प्रदेश में 5.74 करोड़, राजस्थान में 5.48 करोड़ और छत्तीसगढ़ में 2.12 करोड़ मतदाता शामिल हैं।इस काम में लगभग 5.33 लाख बूथ लेवल अधिकारी (BLO) और 7 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट (BLA) राजनीतिक दलों की ओर से नियुक्त किए जाएंगे।

राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों का सहयोग

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि SIR संवैधानिक प्रक्रिया है और सभी राज्य सरकारें इसके लिए सहयोग देने की प्रतिबद्ध हैं। कानून-व्यवस्था राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। अब तक किसी राज्य से कोई असहयोग नहीं मिला है।बिहार में SIR के दौरान वोट चोरी जैसे आरोपों पर आयोग ने कहा कि जमीनी स्तर पर सभी राजनीतिक दलों ने पूरा सहयोग किया। आयोग का किसी दल से कोई मनमुटाव नहीं है और न ही वह किसी के खिलाफ टिप्पणी करता है।

 

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