दिल्ली में दिवाली से कुछ दिन पहले ही वायु गुणवत्ता काफी गिर गई है। ताजे ज़रूर मिले आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली का AQI (Air Quality Index) 201 तक पहुंच गया है, जो “Poor / खराब” श्रेणी में आता है। इस स्तर की वायु गुणवत्ता स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय बन जाती है — खासकर संवेदनशील समूहों (बच्चे, बुजुर्ग, सांस रोगी आदि) के लिए।
AQI = 201 → ‘Poor’ श्रेणी (मानक: 201–300) पहले के कुछ दिन AQI लगभग 199–193 के बीच था, जो “Moderate / मध्यम” स्तर के करीब था। लेकिन आज दिवाली से पहले AQI 201 तक बढ़ गया, जिससे पहली बार इस मौसम में ‘Poor’ श्रेणी में पहुँचना शुरू हुआ।मौसम विभाग और वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी सिस्टम की भविष्यवाणी कहती है कि स्थिति और बिगड़ सकती है और आने वाले दिनों में ‘Poor’ या उससे भी बदतर स्तर देखने को मिल सकता है तापमान में गिरावट, रात के समय ठंडी हवा (inversion effect) यह प्रदूषकों को जमीनी सतह पर रहने में मदद करती है।हवा की गति कम होना, नमी की स्थिति, वायु परिसंचरण की कमी — ये सभी प्रदूषकों को फैलने से रोकते हैं।शुष्क मौसम (बरसात न होना) और साफ आसमान — धूल और कण आसानी से हवा में बने रहते हैं।दिल्ली में वाहन सांख्यिक और उनकी बड़ी हिस्सेदारी वायु प्रदूषण में रहती है।ढुल मिट्टी, निर्माण कार्य, सड़क धूल: निर्माण स्थलों की धूल, सड़कों की धूल उड़ने की प्रवृत्ति, खुले मिट्टी क्षेत्र — ये सब पार्टिकुलेट मैटर (PM) बढ़ाते हैं।उत्सर्जन (दूषणकारी कामकाज): औद्योगिक स्रोत, बिजली उत्पादन इकाइयाँ, जनरेटर आदि।
कृषि अवशेष जलाना / पराली जलाना: आसपास के राज्यों (उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब आदि) में पराली जलाने की घटनाएँ, जो हवा में धुएँ और कण छोड़ती हैं। दीपावली फटाके: दिवाली पर उपयोग होने वाले पटाखे, अगर अनुमति मिले या नियमों की अनदेखी हो, तो वायु में भारी प्रदूषण बढ़ा देते हैं।
अकेले फटाकों का असर दिवाली की शाम को और अधिक दिखाई देता है, लेकिन जैसे ही मौसम अनुकूल न हो, उनका प्रभाव ज़्यादा दीर्घकालीन हो जाता है।
‘Poor’ श्रेणी की वायु गुणवत्ता निम्नलिखित जोखिम बढ़ाती है: श्वसन तंत्र (साँस की राह) में जलन, ख़ाँसी, सांस फूलना गले में खराश, कणों से आँखों में जलन वायु प्रदूषण की दीर्घकालिक उपस्थिति दिल-फेफड़ों की बीमारियाँ (जैसे अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज) के विकास को बढ़ा सकती हैकमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वालों पर असर (बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं) उन लोगों में जो पहले से हृदय या फेफड़ों की समस्या रखते हों, उनकी स्थिति और बिगड़ सकती है
वायु स्थिति को सुधारने के लिए निम्न कदम ज़रूरी हैं:Graded Response Action Plan (GRAP) – विभिन स्तरों के प्रतिबंध लागू करना जैसे कि वाहनों की निगरानी, निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण, जनरेटर प्रतिबंध आदि वाहन उत्सर्जन नियंत्रण – पुराने तथा प्रदूषणकारी वाहनों पर पाबंदी, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावाढुल मिट्टी नियंत्रण – सड़कों पर नियमित पानी छिड़काव और सफाई, मलबे हटाना निर्माण स्थलों पर धूल प्रतिबंध – जाल, स्प्रे, कवरिंग आदि पारंपरिक पटाखों की जगह हरे या कम प्रदूषण वाले विकल्प
लोगों को सचेत करना – मास्क पहनना, घर के भीतर वायु शुद्धिकरण प्रणाली (air purifiers), कम खिड़कियाँ खोलना मॉनिटरिंग और अनुशासन – प्रदूषण स्रोतों पर सख्त निगरानी और उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई
बाहर निकलते समय N95 / N99 मास्क पहनें, विशेषकर ट्रैफिक वाले इलाकों मेंसंवेदनशील समूह (बच्चे, वृद्ध, फेफड़े या हृदय रोगी) को बाहर जाने से बचें या कम समय बाहर रहे सुबह और शाम के समय वायु गुणवत्ता ज़्यादा खराब हो सकती है — उस समय बाहर निकलना कम करें
घर में वायु शुद्धिकरण (air purifiers) उपयोग करें, अगर संभव होखिड़कियाँ बंद रखें जब बाहर की हवा बहुत प्रदूषित हो पौधे और हरित बाधाएँ (ग्रीन बेल्ट) व आसपास के पर्यावरण को बेहतर बनाने में मदद करेंदीवाली पर पटाखों का कम-से-कम उपयोग करें, या पर्यावरण-अनुकूल विकल्प चुनें