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दशहरा से पहले उज्जैन में रावण दहन पर सियासी-धार्मिक बहस हुई तेज , ब्राह्मण समाज की चेतावनी कहा-रावण दहन शास्त्र सम्मत नहीं

उज्जैन: देशभर में कल विजयदशमी का पर्व  धूमधाम से मनाया जा रहा था, लेकिन उज्जैन में रावण दहन को लेकर विवाद हुआ। शहर के दशहरा मैदान में ब्राह्मण समाज के तीन बड़े संगठन—अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज, अखिल भारतीय पुजारी महासंघ और महाकाल सेना—ने रावण दहन का विरोध करते हुए आयोजकों के नाम पर काली मटकी फोड़ी थी।संगठनों ने स्पष्ट कहा था कि रावण दहन शास्त्र और विधि सम्मत नहीं है। उन्होंने ब्राह्मण समाज के साथ-साथ सभी लोगों से इसे रोकने के लिए जागरूक रहने की अपील की। विरोध जताने वालों में महाकाल मंदिर के पुजारी, क्षत्रिय समाज और खंडेलवाल समाज के लोग भी शामिल थे।

मुख्य कार्यक्रम से पहले अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के कार्यकर्ताओं ने दशहरा मैदान में रावण के पुतले के सामने रावण के जयकारे लगाते हुए काली मटकी फोड़ी और रावण दहन रोकने की मांग की। संगठन ने चेतावनी दी कि यदि रावण दहन पर रोक नहीं लगाई गई तो यह आंदोलन देशव्यापी स्तर पर किया जाएगा।

संगठन का कहना है कि अब रावण दहन केवल मनोरंजन का साधन बन चुका है और यह ब्राह्मण समाज के अस्तित्व और सम्मान पर चोट पहुंचा रहा है।

पहले भी की जा चुकी है मांग:
ब्राह्मण समाज ने पहले भी इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, RSS प्रमुख मोहन भागवत और प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर रावण दहन पर रोक लगाने की मांग की थी। उज्जैन ही नहीं, बल्कि कई अन्य जगहों पर भी संगठन ने रावण के गुणगान करते हुए पोस्टर लगाए थे। उनका कहना है कि यह परंपरा शास्त्र सम्मत नहीं रह गई है और केवल अब राजनीति और मनोरंजन का माध्यम बन गई है।

महाकाल मंदिर पुजारी की प्रतिक्रिया:
महाकाल मंदिर के महेश पुजारी ने कहा कि ब्राह्मण समाज को न्याय मिलना चाहिए। देश और प्रदेश में जो रावण दहन हो रहा है वह शास्त्र और विधि सम्मत नहीं है। उन्होंने आग्रह किया कि इसे रोका जाए, अन्यथा समाज हर स्तर पर विरोध करने के लिए तैयार है।

ब्राह्मण समाज ने उदाहरण देते हुए बताया कि पहले इंदौर में रघुवंशी समाज ने हाईकोर्ट से पुतला दहन पर रोक लगवाई थी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो न्यायालय की शरण लेकर अपने सम्मान की रक्षा की जाएगी और आंदोलन को व्यापक स्तर पर फैलाया जाएगा।

उज्जैन में दशहरा से पहले रावण दहन का यह विवाद सामाजिक और धार्मिक स्तर पर संवेदनशील माना जा रहा है। ब्राह्मण समाज की चेतावनी स्पष्ट है—रावण दहन बंद नहीं हुआ तो समाज देशव्यापी आंदोलन का करेगा ।

 

 

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