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HRITHIK ROSHAN केस: दिल्ली हाईकोर्ट ने अपमानजनक और भ्रामक कंटेंट पर लगाई रोक, पर्सनैलिटी राइट्स की सुरक्षा सुनिश्चित

बॉलीवुड अभिनेता ऋतिक रोशन ने हाल ही में अपनी पर्सनैलिटी राइट्स की सुरक्षा के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अभिनेता ने अपनी पहचान, नाम और छवि के गलत उपयोग को लेकर कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में संकेत दिया है कि ऋतिक रोशन के व्यक्तित्व अधिकारों का व्यावसायिक दुरुपयोग रोका जाएगा।

 

 

 

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अभिनेता के व्यक्तित्व अधिकारों के दुरुपयोग पर अंतरिम रोक लगाई जा सकती है। इस आदेश में विशेष रूप से ध्यान दिया गया है कि:

एआई (Artificial Intelligence) के माध्यम से भ्रामक या अपमानजनक सामग्री तैयार करने पर रोक लगे।

अभिनेता की नाम, पहचान और आवाज का व्यावसायिक उपयोग बिना अनुमति के न हो। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और विज्ञापनों में किसी भी तरह का शोषण न हो।

अदालत ने संकेत दिया कि यह कदम अभिनेता की पहचान और सम्मान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।

ऋतिक रोशन ने शिकायत में बताया कि उनके नाम, पहचान और आवाज का व्यावसायिक तौर पर गलत तरीके से उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने अदालत से मांग की है कि  उनके नाम और छवि का दुरुपयोग रोका जाए।

ऑनलाइन या मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपमानजनक और भ्रामक कंटेंट को हटाया जाए।

उनकी पहचान और छवि का सुरक्षा उपाय सुनिश्चित किया जाए।

अभिनेता का यह कदम बताता है कि सेलिब्रिटी और आम जनता दोनों के लिए डिजिटल पहचान की सुरक्षा आज के समय में बेहद जरूरी है।

 

मीडिया और डिजिटल कानून विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के मामले सेलिब्रिटी के अधिकार और डिजिटल प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी दोनों को स्पष्ट करते हैं।

एआई और सोशल मीडिया के माध्यम से किसी की पहचान का गलत उपयोग तेजी से बढ़ रहा है।

इस तरह के कोर्ट आदेश भ्रामक और अपमानजनक सामग्री पर रोक लगाने में मददगार साबित होंगे।

यह कदम सेलिब्रिटीज और आम लोगों को ऑनलाइन सुरक्षा देने की दिशा में भी महत्वपूर्ण है।दिल्ली हाईकोर्ट का यह बयान ऋतिक रोशन के व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर गलत और अपमानजनक सामग्री पर नियंत्रण का संकेत देता है।

यह केस डिजिटल दुनिया में पहचान और सम्मान की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है।

अदालत द्वारा संभावित अंतरिम रोक से यह सुनिश्चित होगा कि किसी भी तरह की भ्रामक, अपमानजनक या व्यावसायिक शोषण वाली सामग्री सार्वजनिक न हो।

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