बॉलीवुड के प्रतिष्ठित अभिनेता और कॉमेडियन गोवर्धन असरानी का सोमवार दोपहर 1 बजे निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। बताया जा रहा है कि असरानी को चार दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनके फेफड़ों में पानी भर गया था। असरानी के निधन की खबर उनके फैंस और बॉलीवुड इंडस्ट्री के लिए बेहद दुखद भरी है। परिवार ने उनकी अंतिम यात्रा सांताक्रूज के शांतिनगर स्थित श्मशान घाट में सिर्फ अपने करीबी लोगों की मौजूदगी में संपन्न की। अभिनेता की आखिरी इच्छा थी कि उनकी मृत्यु की खबर किसी को भी तुरंत न दी जाए और उनका अंतिम संस्कार शांतिपूर्वक किया जाए ।यही वजह थी कि उनके संस्कार में केवल 15-20 लोग शामिल थे , फिल्म इंडस्ट्री की कोई हस्ती वहां मौजूद नही थी।
फैंस के लिए आखिरी पोस्ट
असरानी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से दिवाली की शुभकामनाएं दीं, और कुछ ही घंटों बाद उनका निधन हो गया। उनकी यह अंतिम पोस्ट उनके फैंस के लिए भावनात्मक पल बन गई।
करियर की शुरुआत और शुरुआती संघर्ष
गोवर्धन असरानी का जन्म 1 जनवरी 1941 को राजस्थान के जयपुर में हुआ। उनके पिता कारोबारी थे, लेकिन असरानी को व्यवसाय में दिलचस्पी नहीं थी। उन्होंने अपनी पढ़ाई जयपुर से पूरी की और पढ़ाई के दौरान अपने खर्च उठाने के लिए ऑल इंडिया रेडियो में वॉयस ओवर आर्टिस्ट के रूप में काम किया।
असरानी ने 1960 से 1962 तक साहित्य कलभाई ठक्कर से अभिनय की शिक्षा ली। 1962 में वे मुंबई आए और 1963 में उनकी मुलाकात किशोर साहू और ऋषिकेश मुखर्जी से हुई, जिन्होंने उन्हें पेशेवर अभिनय सीखने की सलाह दी। उनका पहला ब्रेक फिल्म ‘हरे कांच की चूड़ियां’ (1964) में आया, जिसमें उन्होंने अभिनेता बिश्वजीत के दोस्त का किरदार निभाया।1971 के बाद उन्होंने हिंदी फिल्मों में कॉमेडियन और सपोर्टिंग रोल्स निभाने शुरू किए। उनके करियर में कुल लगभग 350 फिल्में शामिल हैं।
राजेश खन्ना के साथ करीबी दोस्ती
असरानी और राजेश खन्ना की दोस्ती फिल्म ‘नमक हराम‘ के बाद गहरी हुई। राजेश खन्ना अक्सर जिस फिल्म में काम करते थे, वह निर्माता असरानी को भी शामिल करने की सलाह देते थे। इस तरह, असरानी ने राजेश खन्ना के साथ लगभग 25 फिल्मों में काम किया।
हिट फिल्में और यादगार किरदार
असरानी ने कई फिल्मों में कॉमेडियन और दोस्त का किरदार निभाया । जैसे शोले फिल्म में जेलर का किरदार उस फिल्म का मशहूर डायलॉग- “हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं”।उसके अलावा असरानी ने चुपके-चुपके ,छोटी सी बात, फकीरा ,हीरा लाल पन्नालाल ,पति पत्नी और वो ,हेरा-फेरी ,भागम भाग और मालामाल वीकली जैसी फिल्मों में काम किया ।उन्होंने ‘खून पसीना’ जैसी फिल्मों में गंभीर रोल भी किए।
निर्देशक और निर्माता के रूप में भी योगदान
असरानी ने केवल अभिनय ही नहीं किया, बल्कि निर्देशन और निर्माण में भी हाथ आजमाया। 1974 में उन्होंने एक गुजराती फिल्म का निर्देशन किया और खुद लीड रोल निभाया। 1982 में उन्होंने एक गुजराती प्रोडक्शन हाउस की स्थापना की, जिसे 1996 में अच्छा लाभ मिला।
बॉलीवुड से भावुक श्रद्धांजलि
असरानी के निधन की खबर से कई बड़े सितारे भावुक हो गए। अभिनेता अक्षय कुमार ने उन्हें याद करते हुए एक अनदेखी तस्वीर सांझा की। वहीं अनुपम खेर ने बताया कि असरानी उनके एक्टिंग स्कूल में मास्टर क्लास लेने आए थे। अनुपम खेर ने कहा, “लोग उन्हें उनके काम के लिए याद करेंगे, लेकिन मैं उन्हें उनके व्यक्तित्व के लिए याद रखूंगा।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भावुक पोस्ट
असरानी के निधन पर दुख जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से लिखा है-
गोवर्धन असरानी न केवल एक बेहतरीन अभिनेता और कॉमेडियन थे, बल्कि उनकी विनम्रता, सरलता और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण ने उन्हें हमेशा यादगार बनाया। उनके 50 साल से अधिक लंबे करियर में उन्होंने भारतीय सिनेमा को हंसी और खुशी से भर दिया। बॉलीवुड और उनके फैंस उन्हें हमेशा याद रखेंगे।