बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए कांग्रेस ने गुरुवार देर रात अपनी पहली उम्मीदवार सूची जारी कर दी। यह लिस्ट रात 11 बजे के बाद सार्वजनिक की गई, जिसमें कुल 48 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। इस सूची में कई बड़े और चर्चित नाम हैं, जिनमें प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, वरिष्ठ नेता और विधायक दल के नेता शकील अहमद खान, और भागलपुर के विधायक अजीत शर्मा प्रमुख हैं।कांग्रेस की इस पहली लिस्ट में 5 महिला उम्मीदवार और 4 मुस्लिम प्रत्याशी शामिल हैं। इसके अलावा, पार्टी ने अपने 11 सिटिंग विधायकों पर दोबारा भरोसा जताया है, जबकि एक मौजूदा विधायक का टिकट काटकर नया चेहरा उतारा गया है।
पहली लिस्ट में कौन-कौन उम्मीदवार बने
कांग्रेस की ओर से जारी इस लिस्ट में प्रमुख सीटों पर निम्न उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। कुटुंबा सीट से प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम , कदवा से विधायक दल के नेता शकील अहमद खान,राजापाकर से प्रतिमा कुमारी दास (दोबारा मौका) ,भागलपुर से अजीत कुमार शर्मा ,मनिहारी सीट से मनोहर प्रसाद सिंह को मुजफ्फरपुर से विजेंद्र चौधरी को बक्सर से संजय कुमार तिवारी, करगहर से संतोष मिश्रा को हिसुआ से नीतू कुमारी और औरंगाबाद सीट से आनंद शंकर व राजपुर (सुरक्षित) विश्वनाथ राम को टिकट दी है।
महिला उम्मीदवारों को मिला खास मौका
कांग्रेस ने इस बार महिलाओं को भी विशेष तरजीह दी है। पार्टी ने कुल 5 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है।सरिता देवी को सोनबरसा (सुरक्षित),अमिता भूषण को बेगूसराय व नीतू कुमारी –,हिसुआ और पूनम पासवान को कोढ़ा (सुरक्षित) व प्रतिमा कुमारी दास को राजापाकर टिकट मिला है।इनमें से कई उम्मीदवार 2020 के चुनाव में भी कांग्रेस के टिकट पर लड़ी थीं।
मुस्लिम उम्मीदवारों को भी दी गई जगह
कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में 4 मुस्लिम उम्मीदवारों को शामिल किया है। इनमें बेतिया से वसी अहमद, बहादुरगंज से प्रोफेसर मस्वर आलम, बिहार शरीफ से उमर खान, और कटिहार क्षेत्र से संबंधित एक अन्य मुस्लिम प्रत्याशी का नाम शामिल है।
खगड़िया से सिटिंग विधायक का टिकट कटा
इस बार कांग्रेस ने खगड़िया से मौजूदा विधायक छत्रपति यादव का टिकट काट दिया है। उनकी जगह पार्टी ने चंदन यादव को मौका दिया है। चंदन यादव पिछली बार बेलदौर से चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे।
वजीरगंज में पिता-पुत्र का टिकट विवाद
वजीरगंज सीट पर कांग्रेस ने एक दिलचस्प बदलाव किया है। यहां पार्टी ने शशि शेखर सिंह की जगह उनके पिता अवधेश कुमार सिंह को टिकट दिया है। अवधेश सिंह पूर्व मंत्री रह चुके हैं और 2015 में इसी सीट से चुनाव जीत चुके हैं। 2020 में उनके बेटे शशि शेखर को टिकट दिया गया था, लेकिन वे हार गए थे।गौरतलब है कि बिहार कांग्रेस के आधिकारिक ‘X’ हैंडल पर कुछ घंटे पहले ही शशि शेखर को सिंबल देने की पोस्ट की गई थी, लेकिन रात में उम्मीदवार बदल दिए गए।
BJP में जाने की इच्छा जताने वाली नीतू सिंह को भी टिकट
कांग्रेस की लिस्ट में हिसुआ विधायक नीतू कुमारी सिंह का नाम शामिल होना भी चर्चा का विषय बना हुआ है। हाल ही में उन्होंने मीडिया के सामने कहा था कि अगर भाजपा उन्हें लोकसभा टिकट देती है तो वे पार्टी में शामिल हो सकती हैं। यहां तक कि उनकी तस्वीरें डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा और सम्राट चौधरी के साथ भी वायरल हुई थीं।फिर भी, कांग्रेस ने नीतू कुमारी पर भरोसा जताते हुए उन्हें दोबारा टिकट दिया है। 2020 के चुनाव में उन्होंने भाजपा के अनिल सिंह को 17,000 से अधिक वोटों से हराया था।
कांग्रेस में सीट बंटवारे को लेकर जद्दोजहद
बिहार महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। पार्टी ने इस बार अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है।लालू प्रसाद यादव के प्रभाव से दूरी बनाते हुए कांग्रेस ने संगठनात्मक स्तर पर कई फेरबदल किए। अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, जबकि राहुल गांधी ने अपने भरोसेमंद सहयोगी कृष्णा अल्लावरू को बिहार का प्रभारी नियुक्त किया।राहुल गांधी ने खुद भी ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के माध्यम से राज्य में सक्रियता बढ़ाई है।
लिस्ट जारी होने से पहले ही शुरू हो गया था सिंबल वितरण
दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट देर रात जारी की, लेकिन कई उम्मीदवारों को एक दिन पहले ही चुनाव चिन्ह (सिंबल) दे दिया गया था। कई प्रत्याशियों ने तो लिस्ट जारी होने से पहले ही नामांकन भी दाखिल कर दिए थे।सूत्रों के अनुसार, इस लिस्ट में पहले और दूसरे दोनों चरणों के प्रत्याशियों के नाम शामिल हैं।
महागठबंधन में खींचतान जारी
महागठबंधन में अभी तक सीट शेयरिंग पर आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। हालांकि, राजद, कांग्रेस और वाम दलों के बीच अधिकांश सीटों पर सहमति बन चुकी है। कई सीटों पर अभी भी बातचीत जारी है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट जारी कर यह साफ संकेत दे दिया है कि वह इस बार आक्रामक तेवर में है। संगठनात्मक बदलाव, नए चेहरों पर भरोसा और पुराने नेताओं को संतुलित प्रतिनिधित्व देकर पार्टी ने राज्य में खुद को फिर से मज़बूत करने की कोशिश की है।